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विश्व अर्थराइटिस दिवस: इन संकेतों को न करें नजरंदाज, हो सकता है सोरियाटिक अर्थराइटिस

सोरायटिक आर्थराइटिस का कोई स्थाई इलाज नहीं है और समय के साथ इसमें होने वाला परिवर्तन अलग-अलग मरीजों में अलग नजर आता है। समय पर जांच और इलाज के विकल्पों द्वारा इसके लक्षणों को प्रभावी रूप से संभाला जा सकता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 11, 2018 18:15 IST
Arthritis Patients- India TV Hindi
Arthritis Patients  

हेल्थ डेस्क: अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी बन गई है, जिससे हमारा देश लगातार जूझ रहा है। हालांकि, चिकित्सा क्षेत्र में उन्नति से इस समस्या से ग्रसित लोगों को लाभ मिला है। लेकिन अर्थराइटिस के विभिन्न रूपों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन रूमेटोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. बिमलेश धर पांडेय का कहना है, "पिछले कई सालों में सोरियाटिक अर्थराइटिस के मामलों में वृद्धि पाई गई है। सोरायसिस से पीड़ित मरीजों को इससे जुड़ी परेशानी की जानकारी नहीं होती और समय के साथ सोरियाटिक अर्थराइटिस हो जाता है।"

एक शोध में यह बात सामने आई है कि एक-चौथाई सोरायसिस मरीज सोरियाटिक अर्थराइटिस से पीड़ित पाए जाते हैं। पांडे के अनुसार, सोरायटिक अर्थराइटिस का कोई स्थाई इलाज नहीं है और समय के साथ इसमें होने वाला परिवर्तन अलग-अलग मरीजों में अलग नजर आता है। समय पर जांच और इलाज के विकल्पों द्वारा इसके लक्षणों को प्रभावी रूप से संभाला जा सकता है। (सरसों के तेल शुद्द है कि नहीं, यूं करें सिर्फ 1 सेकंड में पहचान )

सोरियाटिक अर्थराइटिस इन अंगो को कर सकता प्रभावित

मुंबई के गोरेगांव स्थित क्वेस्ट क्लीनिक में इंटरनल मेडिसिन रूमेटोलॉजी के फिजीशियन डॉ. सुशांत शिंदे ने कहा, "सोरियाटिक अर्थराइटिस कई सारे जोड़ों को प्रभावित कर सकता है, जैसे उंगलियों, कलाइयों, टखनों के जोड़ों और यह जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न छोड़ जाता है। सोरायसिस मरीजों के लिए इसके लक्षणों पर नजर रखना जरूरी है। इस बीमारी की देखभाल के लिए मरीजों को जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जाती है। इन प्रमुख बदलावों में संतुलित आहार लेना और धूम्रपान छोड़ना शामिल है।" (76 साल की उम्र में अमिताभ बच्चन ऐसे रखते है खुद को फिट, 'बिग बी' है बॉलीवुड के सबसे फिट वेजिटेरियन )

देश में 40 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित
लेकिन, भारत में पाया जाने वाला सबसे आम अर्थराइटिस ऑस्टियो अर्थराइटिस है। देशभर में 22 से 39 प्रतिशत लोग इससे पीड़ित हैं। इसके कारण जोड़ों के लिए कुशन का काम करने वाले कार्टिलेज घिस जाते हैं। इसकी वजह से जोड़ों में सूजन और दर्द हो जाता है। ऑस्टियोअर्थराइटिस उम्र बढ़ने, मोटापा, हॉर्मोन्स के अनियंत्रित हो जाने और बैठे रहने वाली जीवनशैली के परिणामस्वरूप होता है। आमतौर पर घुटने, कूल्हे, पैर और रीढ़ इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

अर्थराइटिस के प्रकार
रूमेटॉयड अर्थराइटिस (आरए), अर्थराइटिस का एक अन्य प्रकार है। आरए एक ऑटोइम्यून डिसीज है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर पर, खासतौर से जोड़ों पर हमला करना शुरू कर देती है। नजरंदाज करने पर जोड़ों में सूजन और गंभीर क्षति हो सकती है। आरए के मरीजों की त्वचा पर गांठें बन जाती हैं जिन्हें रूमेटॉयड नॉड्यूल्स कहते हैं। यह अक्सर जोड़ों जैसे पोरों, कुहनी या ऐड़ी में होता है।

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