Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. हेल्थ
  4. विश्व आर्थराइटिस दिवस: इन लोगों को गठिया का सबसे ज्यादा खतरा, जानें क्या है गठिया और इसका इलाज

विश्व आर्थराइटिस दिवस: इन लोगों को गठिया का सबसे ज्यादा खतरा, जानें क्या है गठिया और इसका इलाज

हमारे देश में हर छह में से एक व्यक्ति आर्थराइटिस से पीड़ित है। आर्थर्राइटिस की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक सामान्य है। जानें इस बीमारी के बारें में सबकुछ

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : October 12, 2018 15:24 IST
World Arthritis Day 2018
World Arthritis Day 2018

हेल्थ डेस्क: घुटने की आर्थराइटिस शारीरिक विकलांगता के प्रमुख कारण के रूप में उभर रही है और इसका आलथी-पालथी मारकर बैठने की भारतीय शैली है, जिस कारण घुटने ज्यादा घिसते हैं और घुटने बदलवाने की नौबत आ जाती है। नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पीटल के आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक डॉ. अतुल मिश्रा बताते हैं कि भारत में 15 करोड़ से अधिक लोग घुटने की समस्याओं से पीड़ित हैं, जिनमें से 4 करोड़ लोगों को घुटना बदलवाने (टोटल नी रिप्लेसमेंट) की जरूरत है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हमारे देश में हर छह में से एक व्यक्ति आर्थराइटिस से पीड़ित है। आर्थर्राइटिस की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक सामान्य है।

डॉ. मिश्रा ने कहा, "हमारे देश में घुटने की आर्थराइटिस का प्रकोप चीन की तुलना में दोगुना तथा पश्चिमी देशों की तुलना में 15 गुना है और इसका कारण यह है कि भारतीय लोगों में जेनेटिक एवं अन्य कारणों से घुटने की आर्थराइटिस से पीड़ित होने का खतरा अधिक होता है।"

इस कारण बढ़ा है अर्थराइटिस का खतरा

उन्होंने कहा कि घुटने की आर्थराइटिस के लिए हमारी जीवन शैली भी जिम्मेदार है, जिसके तहत उठने-बैठने में घुटने की जोड़ का अधिक इस्तेमाल होता है। इस कारण शरीर के अन्य जोड़ों की तुलना में घुटने जल्दी खराब होते हैं। हमारे देश में लोग पूजा करने, खाना खाने, खाना बनाने, बैठने आदि के दौरान पालथी मारकर बैठते हैं। इसके अलावा परंपरागत शैली के शौचालयों में घुटने के बल बैठने की जरूरत होती है। (विश्व अर्थराइटिस दिवस: इन संकेतों को न करें नजरंदाज, हो सकता है सोरियाटिक अर्थराइटिस )

अर्थराइटिस के लक्षण
डॉ. मिश्रा ने बताया कि शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द और जकड़न और जोड़ों से आवाज आना आर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण हैं। बाद के चरणों मेंए चलने-फिरने में कठिनाई होती है और जोड़ों में विकृतियां भी आ सकती हैं। घुटने की आर्थराइटिस के शुरुआती चरण के इलाज के लिएए सुरक्षित एनाल्जेसिक जैसी दवाएं, इंट्रा-आर्टिकुलर इंजेक्शन और फिजियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। विकसित चरणों में, सबसे सफल उपचार टोटल नी रिप्लेसमेंट है। (आप भी करते है नवरात्र में मखाने का सेवन, तो अब खाने से पहले जान लें बेहतरीन फायदों के साथ नुकसान)

उन्होंने कहा कि जब घुटने के जोड़ बहुत अधिक खराब हो जाते हैं और मरीज का चलना-फिरना दुभर हो जाता है, तब घुटने को बदलने की जरूरत पड़ती है, जिसे टोटल नी रिप्लेसमेंट कहा जाता है। यह एक बहुत ही सफल प्रक्रिया है जो आधी सदी से भी अधिक पुरानी है। इसकी सफलता दर 95 प्रतिशत है और इससे रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में आश्चर्यजनक रूप से बदलाव आता है।

World Arthritis Day 2018

World Arthritis Day 2018

अर्थराइटिस में करें ये काम
डॉ. मिश्रा ने कहा कि आर्थराइटिस से बचाव के लिए पैर मोड़कर बैठने से बचें, आलथी-पालथी मार कर नहीं बैंठें, भारतीय शौचालयों का उपयोग जहां तक हो सके कम करें तथा लंबे समय तक खड़े होने से बचें। घुटने की आर्थराइटिस की आरंभिक अवस्था में घुटने के व्यायाम, साइकल चलाना और तैराकी रोग को बढ़ने से रोकने का सबसे बेहतर तरीका है। इसके अलावा हमें दूध एवं अन्य डेयरी उत्पादों और मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए तथा विटामिन डी की कमी से बचने के लिए पर्याप्त समय तक धूप में रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के घुटने जल्दी खराब होते हैं। भारतीय महिलाओं में घुटने की समस्याओं की शुरुआत के लिए औसत उम्र 50 साल है, जबकि भारतीय पुरुषों में यह 60 साल है। महिलाओं में घुटने की समस्याओं के जल्द शुरू होने का कारण मोटापा, व्यायाम नहीं करना, धूप में कम रहना और खराब पोषण है।

डॉ. मिश्रा ने कहा कि करीब 90 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में विटामिन-डी की कमी है, जो बोन मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है। शरीर में विटामिन-डी की कमी सीधे या परोक्ष रूप से घुटने को प्रभावित करती है।

उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में जंक फूड एवं फास्ट फूड के बढ़ते इस्तेमाल तथा खान-पान की गलत आदतों के कारण शरीर की हड्डियों को कैल्शियम एवं जरूरी खनिज नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे कम उम्र में ही हड्डियों का घनत्व कम होने लगा है। हड्डियां घिसने और कमजोर होने लगी हैं। गलत खान-पान एवं जीवन शैली के कारण युवाओं में आर्थराइटिस एवं ओस्टियो आर्थराइटिस की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है। आज देश में घुटने की आर्थराइटिस से पीडित लगभग 30 प्रतिशत रोगी 45 से 50 साल के हैं, जबकि 18 से 20 प्रतिशत रोगी 35 से 45 साल के हैं।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Health News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement