ऐसे पाएं अर्थराइटिस से निजात
हड्डी एवं जोड़ों के रोगों के निदान के लिए आमतौर पर एक्स-रे, सीटी-स्कैन, एमआरआई और डेक्सा स्कैन का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं रोग की स्क्रीनिंग एवं मॉनिटरिंग के लिए कई अन्य प्रयोगशाला परीक्षण काम में लिए जाते हैं।
युवा भी चपेट में
बयान में कहा गया है कि अर्थराइटिस का सबसे प्रचलित रूप ऑस्टियो अर्थराइटिस हर साल भारत में 1.5 करोड़ वयस्कों को प्रभावित करता है। इस तरह इसकी प्रसार दर 22 फीसदी से 39 फीसदी है। इसके अलावा भारतीय आबादी में गठिया और रूमेटोइड अर्थराइटिस भी आमतौर पर पाए जाते हैं। ऑस्टियो अर्थराइटिस ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है और उम्र बढ़ने के साथ इसकी संभावना बढ़ जाती है।
इस उम्र में सबसे अधिक ये बीमारी
अध्ययन में पाया गया है कि 65 साल से अधिक उम्र की तकरीबन 45 फीसदी महिलाओं में इसके लक्षण मौजूद हैं, जबकि 65 साल से अधिक उम्र की 70 फीसदी महिलाओं में इसके रेडियोलोजिकल प्रमाण पाए गए हैं।
अध्ययन के अनुसार, रूमेटोइड अर्थराइटिस आमतौर पर जोड़ों के आस-पास मौजूद उतकों को प्रभावित करता है। आमतौर पर वयस्कों में पाया जाने वाला यह रोग भारत की 0.5 फीसदी-एक फीसदी आबादी को प्रभावित करता है। महिलाओं में इसके मामले तीन-चार गुना अधिक पाए जाते हैं। इसकी शुरुआत अक्सर 35-55 आयुवर्ग में होती है।
बयान में कहा गया है कि इन्फ्लामेटरी अर्थराइटिस के सबसे आम रूप गठिया की सम्भावना पुरुषों में तीन-चार गुना अधिक होती है और यह 50 वर्ष या अधिक उम्र में होती है।
क्या है अर्थराइटिस
एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के अध्यक्ष (टेक्नोलॉजी एवं मेंटर, क्लिनिकल पैथोलोजी) डॉ. अविनाश फड़के ने कहा, "हालांकि 'अर्थराइटिस' शब्द का अर्थ जोड़ों की सूजन से है, लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल 100 से अधिक रूमेटोइड रोगों तथा हड्डियों एवं उतकों को प्रभावित करने वाले रोगों के लिए किया जाता है।