हेल्थ डेस्क: भारतीय आबादी की बढ़ती उम्र और दूसरा मुख्य कारण मोटापा है। शुरुआत में दिखने वाले लक्षणों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। समय पर निदान एवं उपचार के द्वारा आप अपने जोड़ों को बचा सकते हैं।
भारत में 18 करोड़ से अधिक लोग अर्थराइटिस से प्रभावित हैं। इन मामलों की संख्या कई अन्य रोगों जैसे मधुमेह, एड्स और कैंसर की तुलना में अधिक है। भारत की तकरीबन 14 फीसदी आबादी जोड़ों के इस रोग के इलाज के लिए हर साल डॉक्टर की मदद लेती है।
एक अनुमान के अनुसार 2025 तक भारत में ऑस्टियो अर्थराइटिस के मामलों की संख्या छह करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस तरह भारत इस दृष्टि से दुनिया की राजधानी के रूप में उभरेगा।
भारतीय डायग्नॉस्टिक श्रृंखला, एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा अर्थराइटिस पर किए गए एक विश्लेषण में पाया गया है कि देश में पुरुषों की तुलना में महिलाएं रूमेटोइड अर्थराइटिस से अधिक पीड़ित हैं। विश्लेषण में यह भी पता चला है कि उत्तरी जोन की तुलना में पूर्वी जोन में अर्थराइटिस के मरीजों में ईएसआर और सीआरपी स्तर (जो जोड़ों की सूजन दर्शाते हैं) का उच्च होना तथा जोड़ों में सूजन आम है। वहीं, यूरिक एसिड का स्तर उत्तरी क्षेत्र में पूर्वी जोन की तुलना में अधिक पाया गया है। यूरिक एसिड का असामान्य स्तर गठिया को दर्शाता है।
एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स की आरे से जारी बयान के अनुसार, चालीस की उम्र के बाद मरीजों में ईएसआर (56.71 फीसदी, 61-85 वर्ष), सीआरपी (80.13 फीसदी, 85 से अधिक उम्र), आरएफ (12.77 फीसदी, 61-85 वर्ष) और यूए (34.76 फीसदी, 85 से अधिक उम्र) के स्तर असामान्य पाए गए हैं।
ये आंकड़े जनवरी 2014 से पिछले साढ़े तीन सालों के दौरान अर्थराइटिस की जांच हेतु लिए गए 64 लाख नमूनों पर आधारित हैं।
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