हेल्थ डेस्क: वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में दावा किया है कि साल 1990 से महिलाओं के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आई है लेकिन पुरूषों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है क्योंकि समाज में व्याप्त लिंग असमानता युवा महिलाओं की सेहत पर उल्लेखनीय असर डाल रही है।
स्वीडन की उमेया यूनिवर्सिटी और रीजन नॉरबॉटेन के शोधार्थियों ने वर्ष 1990 से 2014 तक 25 साल से 34 साल तक की उम्र के पुरूषों और महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी प्रवृत्ति का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है।
वर्ष 1990 में 8.5 फीसदी महिलाओं ने अपने स्वास्थ्य को ‘‘ज्यादा खराब’’ बताया। वर्ष 2014 में ऐसा कहने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ कर 20 फीसदी हो गई। इसके बिल्कुल उलट, पुरूषों की बड़ी संख्या ने अपने स्वास्थ्य को बेहतर बताया। अध्ययन समाप्त होते तक ऐसा कहने वाले पुरूषों की संख्या भी अधिक हो गई।
पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की सह लेखिका एनिका फॉर्सन ने बताया ‘‘हालिया वर्षों में बढ़ती बीमारियों और महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी छुट्टियों के मुद्दे पर चर्चा तेज हुई है।
हमारा अध्ययन बताता है कि साल 1990 से महिलाओं के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आई है और समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता युवा महिलाओं की सेहत पर उल्लेखनीय असर डाल रही है।
अध्ययन के परिणामों में यह भी बताया गया है कि इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर प्रतिभागियों ने मोटापे, व्यग्रता, घबराहट तथा अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर असंतोष जाहिर किया।
इसमें यह भी पता चला है कि महिलाओं और पुरूषों की शारीरिक सक्रियता भी समय के साथ बढ़ी है।
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