हेल्थ डेस्क: भारत में घर के भीतर वायु प्रदूषण के उच्च स्तर की चपेट में आने से महिलाओं को अत्यधिक तनाव का जोखिम हो सकता है। स्पेन में बार्सीलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आईएस ग्लोबल) के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है।
इसके परिणामों से यह बात सामने आई है कि ऐसी महिलाएं जो वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का सामना घरों में कर रही हैं, उनके उच्च तनाव की चपेट में आने की संभावना है।
इस अध्ययन में हैदराबाद शहर के निकट बसे 28 गांवों की 5,531 महिलाओं का अध्ययन किया।
शोधकर्ताओं ने हवा में मौजूद महीन कणों (पीएम 2.5) और कार्बन ब्लैक की मात्रा का संबंध रक्तचाप से जोड़ कर देखा और शोध में शामिल लोगों की समाजिक आर्थिक हैसियत, जीवन शैली और घरेलू स्तर को लेकर भी सर्वेक्षण किया।
हर साल हो जाती है लाखों बच्चों की मौत
एक शोध के अनुसार भारत में हर साल 5 साल से कम उम्र के 1 लाख से अधिक बच्चों की जान वायु प्रदूषण ले रहा है। पर्यावरण थिंक टैंक सीएसई के स्टेट ऑफ इंडियाज इन्वायरन्मेंट (एसओई) रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषित हवा के कारण भारत में 10,000 बच्चों में से औसतन 8.5 बच्चे पांच साल का होने से पहले मर जाते हैं जबकि बच्चियों में यह खतरा ज्यादा है क्योंकि 10,000 लड़कियों में से 9.6 पांच साल का होने से पहले मर जाती हैं।
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