सेतो ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि हमारे अध्ययन निष्कर्ष से यह पता चलता है कि आप कौन हैं, यह अनुभव करना और इसका हिस्सा बनना एक ऐसा भाव है कि आपके जीवन में आपकी गतिविधि और उसके परिणाम पर आपका नियंत्रण है।
सेतो ने कहा, "यदि लोग इस अनुभव का अहसास करने में सक्षम हैं तो वे सही अर्थो में खुद के करीब हो सकते हैं।" इच्छाओं पर प्रभाव डालने के लिए अध्ययन दल ने करीब 300 प्रतिभागियों को समूहों में अलग किया और उसके बाद उनके सवाल पूछ और उनका खुद के बारे में भाव का मूल्यांकन किया।
इच्छाओं को दबा कर रखने वालों के समूह ने इच्छाओं को न दबाने वालों के समूह की बनिस्बत आत्म-अलगाव की अधिक भावना और निम्न स्तर की जागरूकता प्रदर्शित की। इस अध्ययन में आगे एक ही आकार के प्रतिभागियों के समूह ने अपनी इच्छाओं में फेर-बदल किया। इसके बाद उनके सामने एक इच्छा जाहिर करने को कहा गया।
अपना फैसला देने के बाद शोधकर्ताओं ने उनसे पूछा कि वे अपने फैसले को कितना प्रामाणिक मानते हैं। इसमें वे प्रतिभागी जिन्हें इच्छाओं पर अंकुश लगाने वाले समूह में रखा गया था, उन्होंने उनकी तुलना में फैसले लेने में कम सच्चाई दिखाई, जो समूह इच्छाओं पर अंकुश नहीं लगाने वाला था।