हेल्थ डेस्क: व्यक्ति की इच्छाओं पर अंकुश लगाने से उसमें खुद में हीन भावना आ सकती है। इससे वे अवसाद के शिकार हो सकते हैं। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन के निष्कर्ष से यह पता चलता है कि अपने खुद के विमुख होने का एहसास व्यग्रता, अवसाद और फैसले को लेकर असंतोष को बढ़ा सकती है।
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इस अध्ययन की प्रमुख लेखक और अमेरिका के टेक्सास ए एंड एम युनिवर्सिटी की छात्रा एलिजाबेथ सेतो ने कहा, "या तो आप इससे सहमत हैं कि हमारी अपनी इच्छा है या यह कि हम सामाजिक प्रभाव से या नियतिवाद के किसी अन्य स्वरूप से पूर्णतया पराजित हैं। अपनी इच्छा में विश्वास का निश्चित रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव है।" दूसरी ओर अपने बारे में सही ढंग से जानने का आत्मसम्मान पर और जीवन की समझ का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा अपनी इच्छा के अभाव से लोग बगैर किसी नैतिकता के व्यवहार करने के लिए तत्पर हो सकते हैं। खासकर तब जब किसी का लक्ष्य कुछ खास लोगों और पूरे समाज के जीवन की गुणवत्ता बेहतर करना है।
सेतो ने कहा, "जब हम अनुभव करते हैं या अपनी इच्छा में कम विश्वास करते हैं और हम कौन हैं, इसका भान ही नहीं रहता तो हम बगैर नैतिकता के बोध के व्यवहार कर सकते हैं।" यह अध्ययन रपट सोशल साइकॉलॉजिकल एवं पर्सनॉलिटी साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
इससे पहले के अध्ययनों में पाया गया था कि अपनी इच्छा पर अंकुश से धोखाधड़ी, आक्रामकता और सहमति बढ़ जाती है और कृतज्ञता का भाव घट जाता है।
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