हेल्थ डेस्क: चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में कुष्ठ रोग की संभावना व्यस्कों से अधिक होती है, इसलिए बच्चों को हमेशा इस रोग से संक्रमित व्यक्ति से दूर रखा जाना चाहिए। कुष्ठ रोग सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है। इसे हेन्संस रोग भी कहा जाता है और यह धीमी गति से बढ़ने वाले एक जीवाणु मायकोबैक्टीरिया लेप्रे (एम. लेप्रे) के कारण होता है। जीवाणु के संपर्क में आने के बाद इसके लक्षण दिखने में 3-5 साल लग जाते हैं। इस अवधि को इन्क्यूबेशन पीरियड (उष्मायन अवधि) कहा जाता है।
नोएडा स्थित जेपी हॉस्पिटल की डर्मेटोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. साक्षी श्रीवास्तव कहती हैं कि कुष्ठ रोग को 'उपेक्षित रोग' भी कहा जाता है। इसके लक्षणों के कारण यह सबसे घातक रोगों में से एक है। इसमें शरीर के अंगों का आकार बिगड़ने लगता है।
उन्होंने कहा कि रोग के लक्षणों का असर त्वचा, तंत्रिकाओं, म्यूकस मेम्ब्रेन (शरीर के खुले हिस्सों में मौजूद नम और गीले हिस्से) पर पता चलता है।
कुष्ठ रोग के लक्षण
- छाती पर बड़ा, अजीब से रंग का घाव या निशान।
- त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे, जो चपटे और फीके रंग के दिखते हैं, इस स्थान पर त्वचा सुन्न पड़ जाती है।
- त्वचा में खुश्की, अकड़न और मोटी त्वचा।
- पैरों के तलुओं पर ऐसा घाव जिसमें दर्द न हो।
- चेहरे या कान के आस-पास गांठें या सूजन, जिसमें दर्द न हो।
- भौहें या पलकें गिर जाना।
- त्वचा के प्रभावित हिस्सों का सुन्न पड़ जाना।
- मांसपेशियों में कमजोरी या पैरालिसिस (खासतौर पर हाथों और पैरों में)।
- आंखों की समस्याएं, जिनसे अंधापन तक हो सकता है।
- पैरालिसिस या हाथों और पैरों का अपंग होना।
- पैरों की अंगुलियों का छोटा होना।
- नाक का आकार बिगड़ना।
उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग का पूरी तरह से इलाज संभव है। दुनिया भर में 95 फीसदी आबादी की बीमारियों से लड़ने की ताकत इतनी मजबूत होती है कि लम्बे समय तक इसके संपर्क में रहने के बाद भी वे रोग का शिकर नहीं होते। कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक और गलत अवधारणाओं के चलते कई बार लोग इसके लक्षणों को छुपाते हैं, जिसके कारण मरीज की हालत बिगड़ जाती है। इससे समुदाय में रोग फैलने का खतरा भी बढ़ता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कुष्ठ रोग के लिए मुफ्त इलाज उपलब्ध कराता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग के मामले में ध्यान रखें ये बातें-
- कुष्ठ रोग को फैलने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि जल्द से जल्द इसका निदान कर इलाज किया जाए।
- लम्बे समय तक अनुपचारित, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न रहें।
- लक्षणों पर निगरानी रखना और गंभीर मामलों पर ध्यान देना।
- चोट से बचें और घाव को साफ रखें।
- बच्चों में कुष्ठ रोग की संभावना व्यस्कों से अधिक होती है इसलिए बच्चों को हमेशा संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें।
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