हेल्थ डेस्क: कान का कैंसर बहुत ही कम सुनने को मिलता है। कान का कैंसर सिर और नाक की तरह ही होता है। जो स्किन से होते हुए कान के अंदर पहुंच जाता है। जो कि बाहरी कान के साथ-साथ अंदरुनी कैनाल को भी इफेक्ट करता है।
अगर आपके कान में एक गांठ या स्किन सी बन जाती है, तो समझ लें कि यह समस्या सिंपल नहीं है। यह कैंसर होने की शुरुआत है। इस तरह की स्किन समस्याओं को बेसल सेल कार्सीनोमा व घातक मेलेनोमा के नाम से जाना जाता है।
जब कैंसर के कान के हिस्सों में पहुंचने लगता है तेज दर्द होता है। कान का ट्यूमर के विकास से सुनने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। फिर ये कान से होते-होते पूरे शरीर में फैल जाता है। अगर समय से इन संकेतो को पहचान लिया जाएं तो आप कान के कैंसर से जल्द ही निजात पा सकते है।
कान का कैंसर अक्सर बूढ़ापे में है। यानी कि 60 साल के बाद की इसके होने के खतरा सबसे ज्यादा होता है। जानिए क्या है ये, लक्षण और बचने के उपाय।
कान के कैंसर के प्रकार
कान का कैंसर 3 तरह से होता है।
- बाह्य कैंसर
- मिडिल कैंसर
- इनर कैंसर
बाह्य कैंसर
बाह्य कैंसर अल्सर के रुप में होता है। जो कि धीरे-धीरे अंदर चला जाता है। कुछ मामलों में तो कान का कैंसर दिमाग तक भी पहुंच जाता है जो कि काफी खतरनाक स्थिति मानी जाती है।
मीडिल कैंसर
यह कैंसर कान के बीच के हिस्से को प्रबावित करता है। इस तरह का कैंसर काफी दर्दभरा होता है साथ ही कभी कभी इसमें कान से ब्लड भी आ सकता है।
इनर कैनल कैंसर
यह कैंसर कान के कैनल में होता है। खासकर कैनल के बाहरी हिस्सों पर। इनर कैनल कैंसर कान के बाहरी आवरण के साथ अंदर के कैनल पर भी ट्यूमर के रुप में देखा जा सकता है।
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