हेल्थ डेस्क: दिल की शल्य चिकित्सा से गुजरने वाले शिशुओं में चार साल की उम्र में खराब भाषा कौशल व संज्ञानात्मक समस्याओं के अलावा बहरेपन का खतरा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि दिल की शल्य चिकित्सा से जीवित बचे 348 प्री-स्कूली बच्चों में से करीब 21 फीसदी बच्चों को बहरेपन का सामना करता पड़ता है।
सामान्य आबादी के बीच फैले बहरेपन की तुलना में यह दर 20 गुना ज्यादा है।इस अध्ययन का प्रकाशन जर्नल ऑफ पिडियाट्रिक्स में किया गया है। इसमें शोधकर्ताओं ने बच्चों के तंत्रिका विकास के परिणाम का विश्लेषण किया है। इसमें कुल 75 बच्चों में बहरेपन की समस्या पाई गई।
बहरेपन के दूसरे सामान्य कारकों में 37 हफ्ते से कम की गर्भावधि में आनुवांशिक विकृति शामिल है।शोधकर्ताओं ने पाया कि बहरेपन की समस्या वाले बच्चों में भाषा कौशल, संज्ञानात्मक (आईक्यू जांच) व कार्यकारी कार्य व ध्यान में कमी देखी गई।