हेल्थ डेस्क: तुलसी का बॉयलोजिकल नाम बेसिल है। तुलसी को अगर हिंदू धर्म के हिसाब से देखा जाए तो इस पौधा को पवित्र माना जाता है। अक्सर आपने देखा होगा कि तुलसी को लेकर घर में कई नियम कानून बताए जाते हैं। हमारे लिए तुलसी क्यों फायदेमंद है इसके वैज्ञानिक कारण के साथ- साथ इसके धार्मिक कारण भी बताएंगे।
लोग घरों के आंगन में तुलसी लगाकर रोज उसकी पूजा करते हैं तथा जल चढ़ाते हैं, लेकिन तुलसी केवल धार्मिक महत्व का पौधा नहीं है बल्कि इसके कई चिकित्सकीय गुण इसे औषधियों की कतार में भी शामिल करते हैं। यह आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण औषधि है जो कई तरह के रोगों के निदान में प्रयोग में लाई जाती है। आयुर्वेद में तुलसी के पत्ते को सबसे बेहतरीन प्राकृतिक एंटी-बायोटिक माना जाता है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि तुलसी में पाया जाने वाला तैल हमारी श्वांस संबंधी तकलीफों का सबसे प्रभावी उपाय है।
तुलसी यूं तो कई तरह की बीमारियों का इलाज है लेकिन धार्मिक मान्यताएं तुलसी के पत्ते को चबाने की इजाजत नहीं देती हैं। हिंदू संस्कृति के लोग तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी के एक अवतार के रूप में पूजते हैं, और इसे एक पवित्र चीज मानते हैं, इसलिए तुलसी के पत्ते को चबाने के लिए तैयार नहीं होते। सिर्फ इतना ही नहीं तुलसी के पत्ते को न चबाने का एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। विज्ञान तुलसी के पत्ते को चबाने की बजाय निगलने या फिर इसके इस्तेमाल के दूसरे विकल्पों पर ज्यादा जोर देता है।
दरअसल तुलसी के पत्ते में भारी मात्रा में आयरन और मर्करी पाया जाता है। तुलसी के पत्ते को चबाने पर ये तत्व हमारे मुंह में घुल जाते हैं। ये दोनों ही तत्व हमारे दांतों की सेहत के लिए तथा उनकी सुंदरता के लिए नुकसानदेह हैं। तुलसी थोड़ी अमलीय यानी कि एसिडिक नेचर की होती है, इसलिए रोजाना इसका सेवन दांतों की तकलीफों को दावत दे सकता है। हालांकि तुलसी का ताजा रस मुंह के अल्सर के लिए काफी फायदेमंद होता है लेकिन फिर भी तुलसी के पत्ते को चबाने की इजाजत नहीं दी जाती है।