Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. हेल्थ
  4. छत्तीसगढ़ का अजीब गांव, जहां 40 की उम्र में ही आ जाता है बुढ़ापा

छत्तीसगढ़ का अजीब गांव, जहां 40 की उम्र में ही आ जाता है बुढ़ापा

एक ऐसा गांव जहां पर युवा 25 वर्ष की आयु में ही लाठी लेकर चलने को मजबूर हो जाते हैं और 40 साल के पड़ाव में प्रकृति के नियम के विपरित बुढ़े होने लग जाते हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: January 09, 2019 9:22 IST
old man- India TV Hindi
old man

'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून..' रहीम की ये पंक्ति पानी की महत्ता को दर्शा रही है कि यदि पानी नहीं रहेगा तो कुछ भी नहीं रहेगा, लेकिन जब पानी अमृत के बजाय जहर बन जाए तो पूरा जीवन अपंगता की ओर बढ़ चलता है। यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। 

बीजापुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किमी दूर भोपालपटनम में स्थित छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव जहां पर युवा 25 वर्ष की आयु में ही लाठी लेकर चलने को मजबूर हो जाते हैं और 40 साल के पड़ाव में प्रकृति के नियम के विपरित बुढ़े होने लग जाते हैं। यहां 40 फीसदी लोग उम्र से पहले ही या तो लाठी के सहारे चलने लगते हैं या तो बुढ़े हो जाते हैं। इसकी वजह कोई शारीरिक दोष नहीं, बल्कि यहां के भूगर्भ में ठहरा पानी है। जो इनके लिए अमृत नहीं, बल्कि जहर साबित हो रहा है। 

यहां के हैंडपंपों और कुओं से निकलने वाले पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण पूरा का पूरा गांव समय से पहले ही अपंगता के साथ-साथ लगातार मौत की ओर बढ़ रहा है। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरन आज भी यहां के लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं, बावजूद शासन-प्रशासन मौत की ओर बढ़ रहे इस गांव और ग्रामीणों की ना तो सुध ले रहा है ना ही इस खतरनाक हालात से बचने के लिए कोई कार्ययोजना तैयार करता नजर आ रहा है, जबकि इस गांव में आठ वर्ष के उम्र से लेकर 40 वर्ष तक का हर तीसरे व्यक्ति में कुबड़पन, दांतों में सड़न, पीलापन और बुढ़ापा नजर आता है।

प्रशासन ने यहां तक सड़क तो बना दी, पर विडंबना तो देखिए कि सड़क बनाने वाले प्रशासन की नजर इन पीड़ितों पर अब तक नहीं पड़ पाई।

यहां के सेवानिवृत्त शिक्षक तामड़ी नागैया, जनप्रतिनिधि नीलम गणपत और फलोराइड युक्त पानी से पीड़ित तामड़ी गोपाल का कहना है कि गांव में पांच नलकूप और चार कुएं हैं, इनमें से सभी नलकूपों और कुओं में फलोराइड युक्त पानी निकलता है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने सभी नलकूपों को सील कर दिया था लेकिन गांव के लोग अब भी दो नलकूपों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

उनका कहना है कि हर व्यक्ति शहर से खरीदकर पानी नहीं ला सकता है, इसलिए यही पानी पीने में इस्तेमाल होता है। यही नहीं, बल्कि गर्मी के दिनों में कुछ लोग तीन किमी दूर इंद्रावती नदी से पानी लाकर उबालकर पीते हैं। 

इनमें से तामड़ी नागैया का कहना है कि यह समस्या पिछले तीस सालों से ज्यादा बढ़ी हैए क्योंकि तीस साल पहले तक यहां के लोग कुएं का पानी पीने के लिए उपयोग किया करते थे, मगर जब से नलकूपों का खनन किया गया तब से यह समस्या विराट रूप लेने लगा और अब स्थिति ऐसी है कि गांव की 40 फीसदी आबादी 25 वर्ष की उम्र में लाठी के सहारे चलनेए कुबड़पन को ढोने और 40 वर्ष की अवस्था में ही बुढ़े होकर जीवन जीने को मजबूर है। यहां पर लगभग 60 फीसदी लोगों के दांत पीले होकर सड़ने लगे हैं।

बताया जा रहा है कि यह पूरा गांव भू गर्भ में स्थित चट्टान पर बसा हुआ है और यही वजह है कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है और इस भू गर्भ से निकलने वाला पानी यहां के ग्रामीणों के लिए जहर बना हुआ है। 

जानकार बताते हैं कि वन पार्ट पर मिलियन यानि पीपीएम तक फ्लोराइड की मौजूदगी इस्तेमाल करने लायक हैए जबकि पीपीएम को मार्जिनल सेप माना गया है। डेढ़ पीएम से अधिक फलोराइड की मौजूदगी को खतरनाक माना गया है और गेर्रागुड़ा में डेढ़ से दो पीपीएम तक इसकी मौजूदगी का पता चला है और लोगों पर इसका खतरनाक असर साफ नजर आ रहा है।

(इनपुट-आईएएनएस)

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Health News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement