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शोध में हुआ खुलासा, शाकाहारी लोगों को सबसे अधिक स्ट्रोक का खतरा

एक नई स्टडी में ये बात सामने आईं कि वेजिटेरियन लोगों को स्ट्रोक आने का खतरा नॉन वेजिटेरियन लोगों से ज्यादा होता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : September 05, 2019 18:48 IST
Vegan and Vegetarian Diets May Increase Risk of Stroke Experts Say
Vegan and Vegetarian Diets May Increase Risk of Stroke Experts Say

एक नई स्टडी में ये बात सामने आईं कि वेजिटेरियन लोगों को स्ट्रोक आने का खतरा नॉन वेजिटेरियन लोगों से ज्यादा होता है। जी हां ऑक्सफोर्ड यूर्निवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया। वैज्ञानिकों के अनुसार शाकाहारी लोगों को मांस खाने वालों की तुलना में स्ट्रोक का खतरा 20 प्रतिशत अधिक खतरा था। इसका मुख्य कारण रक्तस्रावी स्ट्रोक की उच्च दर के कारण ऐसा होता है। संभवतः, रक्तस्रावी स्ट्रोक तब होता है जब धमनी से खून मस्तिष्क में ब्लड बहना शुरू होता है। यह स्टडी ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित की गई है।

डेली मेल में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अध्ययन में आया कि शाकाहारियों और Vegan लोगों में कम कर्कुलेटिंग कोलेस्ट्रॉल और कई खास विटामिन्स का लेवल बहुत ही नीचे होता है। इस विटामिन्स में विटामिन बी12 शामिल है।

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वैज्ञानिकों के अनुसार, हालांकि जब वेजेटेरियन ग्लोबल ट्रेंड बन गया। जिसके कारण जिन लोगों ने मीट से परहेज किया। उन लोगों को कोरोनरी हार्ट संबंधी रोग होने का स्तर काफी कम था। जिसके कारण दिल के दौरे और एनजाइना जैसे खतरनाक रोग होने लगे।

वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि पूरी स्टडी यह दर्शाती है कि जो वयस्क मछली खाने वाले या शाकाहारी थे, उन्हें मांस खाने वालों की तुलना में इस्केमिक हृदय रोग (ischaemic heart disease) का खतरा बहुत कम था। लेकिन शाकाहारी लोगों को स्ट्रोक का खतरा सबसे अधिक था।

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इस स्टडी में सामने आया शाकाहारियों को मांसाहारियों की तुलना में हृदय रोग का खतरा 22 प्रतिशत कम था। जो मछली खाते थे न कि मीट उन्हें हार्ट संबंधी रोग का खतरा 13 प्रतिशत कम था।

वैज्ञानिकों के अनुसार शाकाहारियों के बीच शरीर के कम वजन, रक्तचाप और मधुमेह के कारण अंतर कम से कम हो सकता है।

ऑक्सफोर्ड के Nuffield Department of Population Health डिपार्टमेंट के डॉ Tammy Tong का इस स्टडी के बारे में कहना है कि शाकाहारी लोगों पर उच्च अनुपात के साथ अन्य बड़े पैमाने पर सेटिंग में अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है ताकि परिणामों की सामान्यता की पुष्टि की जा सके।

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