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पहले कुछ इस तरह हॉस्पिटलों और दूर इलाकों तक पहुंचाया जाता था टीकाकरण का वैक्सीन

टीकाकरण गर्भवती महिला से लेकर जन्म लेने वाले शिशु को न केवल कई बीमारियों का सुरक्षा कवच देता है, बल्कि परिवार की खुशहाली में मददगार भी होता है।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 17, 2017 12:59 IST

vaccination

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राज्य के कोल्ड चेन प्रभारी डॉ. विपिन श्रीवास्तव ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए बताया, "वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान के बीच रखा जाता है, इसके लिए भोपाल से विकासखंड स्तर तक पर केंद्र हैं, जहां तापमान नियंत्रित करने के पर्याप्त इंतजाम है, हर जगह फ्रीजर है, वैक्सीन कैरियर (वैक्सीन ले जाने वाला डिब्बा) में भी वैक्सीन सुरक्षित रहे, इसके लिए आईस पैक रखे जाते हैं।"

डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं, "अब से लगभग तीन दशक पहले वैक्सीन को सुरक्षित दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाना आसान नहीं था। इसके लिए पानी के मटकों में वैक्सीन को रखकर भेजा जाता था। कई बार वैक्सीन पर दुष्प्रभाव की आशंका रहती थी, मगर अब सिस्टम इतना प्रूफ बनाया गया है कि कहीं कुछ भी कमी की सूचना मुख्यालय तक पहुंच जाती है। इसके लिए हर विकासखंड स्तर पर डिवाइस लगाई गई है।"

डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि टीकाकरण में सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीक का भरपूर उपयोग कर वैक्सीन को सुरक्षित रखा जाता है, वहीं कहीं भी भंडारण की कमी न रहे इसमें भी मदद मिलती है। कोल्ड चेन की टीकाकरण में अहम भूमिका है। बिजली का पूरा इंतजाम रहता है। केंद्रों पर वैकल्पिक इंतजाम भी होते हैं, जिससे तापमान नियंत्रित रहता है। तापमान गड़बड़ाने पर डिवाइस केंद्र के प्रभारी से लेकर प्रदेश स्तर तक पर संकेत दे देती है। 

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