- 15 साल बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति आई और दो साल पहले ही इसका मसौदा तैयार कर लिया गया था।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को दो बार कैबिनेट में पेश किया गया, लेकिन इसको मंजूरी नहीं मिल सकी।
- राज्यों के लिए इस नीति को मानना अनिवार्य नहीं होगा और सरकार की नई नीति एक मॉडल के रूप में उन्हें दे दी जाएगी और इसे लागू करें या नहीं, यह संबंधित राज्य सरकार पर निर्भर करेगी।
- सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामाहेल्थ केयर स्कीम से काफी प्रभावित थे और मौजूदा पॉलिसी में उससे कुछ इनपुट लिए गए हैं।
- योजना के तहत स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को जल्दी ही बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 फीसद तक पहुंचाया जाएगा। इस समय यह 1.04 फीसदी के करीब है।
- हेल्थ के क्षेत्र को डिजिटलाइजेशन करने पर अधिक जोर दिया जाएगा। कुछ प्रमुख बीमारियों को खत्म करने के लिए खास टारगेट तय किया गया है। जहां सरकार अपना ध्यान प्राथमिक चिकित्सा को मजबूत बनाने पर लगाएगी।
- इस योजना के अंतर्गत जिला अस्पताल और इससे ऊपर के अस्पतालों को पूरी तरह नियंत्रण सरकारी होगा। इसके अलावा इसमें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) प्रॉजेक्ट में प्राइवेट पार्टी को भी शामिल किया जाएगा।