यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेन फंड (यूनिसेफ) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के तीन बच्चों में एक बच्चा कुपोषित है और उसका विकास सही तरीके से नहीं हो रहा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, यूनिसेफ ने मंगलवार को चिल्ड्रेन, फूड एंड न्यूट्रिशन की रिपोर्ट में चेताया, "बड़ी संख्या में खतरनाक ढंग से बच्चे खराब आहार व खाद्य प्रणाली का परिणाम भुगत रहे हैं।"
'स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रेन 2019 : चिल्ड्रेन, फूड एंड न्यूट्रिशन' में कहा गया है कि पांच साल से कम उम्र के 20 करोड़ से ज्यादा बच्चे या तो कुपोषित हैं या मोटापाग्रस्त हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर यह स्थिति तीन में से एक है और छह महीने से दो साल की आयु के करीब दो-तिहाई बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता, जिससे उनका उचित विकास हो।
पर्याप्त पोषण की कमी से बच्चों में स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कमजोर दिमाग का विकास, सीखने की कमी, कमजोर प्रतिरक्षा और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है और कई मामलों में समय पूर्व मौत भी हो जाती है।
एजेंसी की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोरे ने कहा कि स्वास्थ्य और पोषण को लेकर तकनीकी उन्नति के बावजूद दुनिया सबसे मूल तथ्य को भूल गई है कि अगर बच्चे खराब तरह से खाते हैं तो खराब तरह से जीएंगे।
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उन्होंने कहा कि लाखों बच्चे पोषक आहार नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उनके पास कोई बेहतर विकल्प नहीं है।
महत्वपूर्ण रिपोट कुपोषण के 'ट्रिपल बर्डन' को बताती है। इसके तहत कुपोषण, मोटापा और जरूरी पोषक तत्वों की कमी है। पांच साल से कम उम्र के 14.9 करोड़ बच्चे अपनी उम्र से काफी छोटे हैं। पांच करोड़ बच्चे अपनी लंबाई के मुकाबले काफी पतले हैं, जो कुपोषण का आम संकेत है।
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यूनिसेफ ने 'हिडेन हंगर' में कहा कि इसी आयु समूह वाले अन्य चार करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार हैं। इसके साथ ही दुनिया भर के आधे बच्चे जरूरी विटामिन व पोषक पदार्थ नहीं पा रहे हैं।