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भारत में इस बीमारी के मरीज दिन पर दिन 10 गुना बढ़े, जानिए क्या है वजह

वर्ष 2016 के बाद से भारत में हृदय प्रत्यारोपण के मामलों में दसगुनी वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हृदयदान, पुनप्र्राप्ति और प्रत्यारोपण के बीच बेहतर समन्वय के कारण ऐसी स्थिति बन पाई है। भारत में पिछले दो सालों में लगभग 300 हृदय प्रत्यारोपण हुए हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: May 12, 2018 11:12 IST
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heart problem

हेल्थ डेस्क: वर्ष 2016 के बाद से भारत में हृदय प्रत्यारोपण के मामलों में दसगुनी वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हृदयदान, पुनप्र्राप्ति और प्रत्यारोपण के बीच बेहतर समन्वय के कारण ऐसी स्थिति बन पाई है। भारत में पिछले दो सालों में लगभग 300 हृदय प्रत्यारोपण हुए हैं। हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी एक बेहद संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसके दौरान क्षतिग्रस्त मांसपेशियों, धमनी या वाल्व वाले हृदय की जगह पर पूरी तरह से सक्रिय और स्वस्थ हृदय प्रत्यारोपित किया जाता है।

हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि 'ब्रेन डेड' घोषित हो चुके किसी व्यक्ति के शरीर से निकाले गए अधिकांश अंग कई घंटे तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं, जब तक कि उन्हें किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित न कर दिया जाए।

उन्होंने कहा कि एक बार किसी व्यक्ति के शरीर से निकाला गया रक्त लंबे समय तक स्टोर किया जाता है और जरूरत पड़ने पर दूसरों को दिया जाता है। डांसर क्लेयर सिल्विया की कहानी सेलुलर मैमोरी की बात को स्थापित करती है कि स्मृति और चेतना कोशिकाओं में जीवित रह सकती है और अन्य व्यक्तियों तक स्थानांतरित हो सकती है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सिल्विया के शरीर में हृदय व फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद उसमें डोनर के गुण विकसित होने लगे (पुरुष से महिला तक यौन वरीयताओं में परिवर्तन, लाल रंग की जगह हरे और नीले रंग की पसंद, चिकन और बियर का स्वाद विकसित होना)। हालांकि, ऐसा हर किसी में नहीं हो सकता।

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