हेल्थ डेस्क: धूम्रपान करने वाले लोग अगर खांसते रहते हैं तो उन्हें टीबी का टेस्ट कराना चाहिए। तंबाकू के इस्तेमाल और धूम्रपान करने वालों के आसपास रहने वाले लोगों में टीबी का खतरा बढ़ जाता है और इससे जान को खतरा हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के 'कफ' अभियान में इसे प्रमुखता से बताया गया है।
इस बीमारी की पहचान करने में सबसे ज्यादा परेशानी इस बात की होती है कि धूम्रपान करने वाले लोग सोचते है कि खांसी उन्हें धूम्रपान की वजह से हो रही है। इस अभियान के जरिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वह डॉक्टर से मिलकर यह पक्का करें कि लगातार होने वाली खांसी कहीं टीबी का संकेत तो नहीं है।
साल 2016 में टीबी से 432,000 भारतीयों की मृत्यु हुई थी यानी कि रोजाना 1183 से ज्यादा लोग थे। सरकार का उद्देश्य है कि दुनियाभर में साल 2030 टीबी उन्मूलन से पांच साल पहले भारत से टीबी साल 2025 तक खत्म हो जाए। इस अभियान को इस तरह डिजाइन किया गया है जिससे टीबी उन्मूलन में मदद मिलें, लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित हो और समय पर टीबी की पहचान व इलाज हो। इसे वाइटल स्ट्रेटजी के तकनीकी सहायता की मदद से विकसित व कार्यान्वित किया गया था।
वाइटल स्ट्रेटजी के प्रेजिडेंट व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर जोस ल्युस केस्ट्रो ने कहा, "भारत में ज्यादातर टीबी से होने वाली मृत्यु आर्थिक उत्पादकता वाले युवा वयस्कों की होती है। यह 30 से 69 साल की उम्र के लोगों में होने वाली मृत्यु के शीर्ष पांच कारणों में एक है। भारत में तंबाकू महामारी की तरह इसके बोझ को बढ़ा रहा है।"
उन्होंने कहा, " 'कफ' अभियान की मदद से साल 2025 तक टीबी को खत्म करने का उद्देश्य है और इस मकसद को पूरा करने के लिए लोगों को धूम्रपान छोड़ने और लगातार खांसने वाले स्मोकर्स व उनके आसपास खांसते रहने वाले लोगों को डॉक्टर से मिलकर सलाह लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। यह जिंदगी बचाने वाला संदेश है।"