नई दिल्ली: एक रिसर्च में बोतलबंद पेयजल बनाने वाली प्रमुख कंपनियों के 90 पर्सेंट पानी में प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों की मौजूदगी का दावा होने के एक दिन बाद शुक्रवार को पेयजल बनाने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों ने इस दावे को चुनौती देते हुए कहा कि वे गुणवत्ता के मामले में सख्त हैं। अमेरिका की एक गैर लाभकारी संस्था ओर्ब मीडिया की रपट में खुलासा हुआ है कि इसमें पॉलीप्रोपिलीन, नायलॉन और पॉलीथिलीन टेरेफ्थेलेट जैसे तत्व मौजूद रहते हैं। रिसर्च के अनुसार इन तत्वों की मौजूदगी 11 कंपनियों की 259 बोतलों के पानी में 93 पर्सेंट तक दर्ज की गई।
जिन कंपनियों के पानी के नमूने लिए गए हैं उनके नाम एक्वॉ (डेनॉन), एक्वॉफिना (पेप्सिको), बिसलेरी (बिसलेरी इंटरनेशनल), डसानी (कोका-कोला), ईप्यूरा (पेप्सिको), एविआन (डेनॉन), गेरॉल्स्टीनियर (गेरॉल्स्टीनियर ब्रनेन), मिनाल्बा (ग्रुपो एड्सन क्वीरोज), नेस्ले प्योर लाइफ (नेस्ले), सेन पेलेग्रिनो (नेस्ले), वहाहा (हांग्झोऊ वहाहा ग्रुप) हैं। बिसलेरी इंटरनेशनल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रमेश चौहान ने एक बयान में कहा, ‘बिसलेरी के जल को शुद्धता के दस चरणों से गुजारा जाता है। हमारे पास खुद के गुणवत्ता परीक्षण मापदंड हैं।’ रिसर्च में बताया गया कि जो व्यक्ति एक दिन में एक लीटर बोतल बंद पानी पीता है वह प्रतिवर्ष प्लास्टिक के दस हजार तक सूक्ष्म कण ग्रहण करता है।
रिसर्च में 100 माइक्रोंस और 6.5 माइक्रोंस के आकार के दूषित कणों की पहचान हुई। प्लास्टिक के छोटे कण औसतन प्रति बोतल 10.4 पाए गए। प्लास्टिक के सूक्ष्म कण तो 325 कण प्रति बोतल पाए गए। पेप्सिको इंडिया ने भी इस दावे को चुनौती देते हुए गुरुवार को कहा, ‘एक्वाफिना गुणवत्ता के मापदंडों का सख्ती से पालन करती है जिससे दुनिया में कहीं भी इसके उत्पादों का सुरक्षित उपभोग हो सके।’ बाजार में 147 अरब डॉलर प्रति वर्ष के व्यापार के साथ यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला पेय उत्पाद उद्योग है। भारत में 64 किलोग्राम के वजन के स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन औसतन 6 लीटर पानी पीना चाहिए। दूषित पानी पीने से कई जानलेवा बीमारियां जन्म ले लेती हैं।