शरीर में सूजन आना: हमारी किडनियां शरीर से गंदगी बाहर फेंकती हैं साथ ही शरीर में से अतिरिक्त तरल पदार्थ को भी निकालती हैं। जब किडनियों की कार्यप्रणाली में कोई दिक्कत आती है तो शरीर से बाहर न निकलने वाली गंदगी और तरल पदार्थ समस्याएं उत्पन्न करते हैं। जिनसे शरीर में सूजन आ जाती है। यह सूजन हाथों, पैरों, जोड़ों, चेहरे और आंखों के नीचे हो सकती है। अगर आप अपनी त्वचा को उंगली से दबाएं और डिम्पल थोड़ी देर तक बने रहें तो डॉक्टर के पास जाने में देर न करें।
चक्कर आना और कमजोरी: जब किडनियों की कार्यप्रणाली में अवरोध होता है, तो आपको हमेशा चक्कर आने की संभावना बढ़ जाती है। पूरे समय आप थकावट महसूस करते हैं और कमजोरी का एहसास होता है। ये लक्षण खून की कमी और गंदगी के शरीर में जमा होने से उत्पन्न हो सकते हैं। शरीर में एनीमिया की स्थिति बनने से सर घूमना, हल्का सरदर्द, संतुलन न बनना जैसे लक्षण उभरते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एनीमिया की वजह से दिमाग तक जरूरी मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता। बाद में यह समस्या याददाश्त तक पहुंच जाती है और काम से ध्यान भटकने लगता है। इसके अलावा सोने में भी मुश्किल आने लगती है।
अपनी स्वस्थ अवस्था में किडनी इर्यथ्रोपोइटिन नाम का हार्मोन बनाती हैं। यह हार्मोन शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह का कार्य करने वाले लाल रक्त कणों की संख्या में इजाफा करता है। जब किडनी अपना कार्य नहीं कर पाती तो लाल रक्त कणों की संख्या घट जाती है। इसके अलावा शरीर की गंदगी बाहर न निकलने से भूख लगना कम हो जाता है और आप कमजोरी के साथ सांस फूलने जैसी समस्या भी महसूस कर सकते हैं। किडनी शरीर से गंदगी निकालने के साथ ही खून के प्रवाह को भी सुचारू करती है। किडनी में परेशानी होने से फेफड़ों में भी मुश्किल खड़ी होती हैं और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।