हेल्थ डेस्क: थॉयरायड दुनिया भर में एक प्रमुख समस्या है। भारत में करीब 4.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं यानी भारत में 10 में से एक व्यक्ति इससे किसी न किसी रूप से पीड़ित है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थॉयरायड विकार होने की संभावना 80 प्रतिशत ज्यादा होती है, जिसकी वजह से शरीर में होने वाले बहुत सारे हार्मोन के बदलाव हैं। महिलाओं में आयोडीन की कमी होने की संभावना ज्यादा होती है, जिस वजह से उनमें थॉयरायड के विकार हो सकता है।
ये भी पढ़े-
- सिर्फ 1 उपाय और पाएं दांतो के पीलेपन से निजात
- अगर हो जाएं आपके गले पर इंफेक्शन, तो करें ये काम
- भूलकर भी हीटर यूज करते समय न करें ये गलतियां
इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ के.के. अग्रवाल ने कहा, "थॉयरायड ग्रंथी शरीर में पाचन क्रिया को संतुलित बनाने में अहम भूमिका निभाती है। इससे निकलने वाले हार्मोन शरीर का तापमान संतुलित रखने, दिमाग को सेहतमंद रखने, दिल की उचित ताल के साथ पंप करने और सभी अंगों में एकसुरता बनाए रखने में मदद करता है। जब हमें थॉयरायड विकार हो जाता है तो या तो यह ग्रंथि ज्यादा काम करने लगती है- जिससे हायपरथॉयरायडिज्म या फिर कम काम करने से हाईपोथॉयरायडिज्म हो जाता है। हाईपोथॉयरायडिज्म आम तौर ज्यादा होता है और कोलेस्ट्रोल और दिल के विकार बढ़ाने का कारण बन सकता है।"
थॉयरायड विकार का जल्दी पता लगने से रोकथाम के कदम उठाने में मदद मिलती है, चाहे वो दवाओं के जरिए हो या जीवनशैली में बदलाव। इसके लक्षण बहुत ही छोटे होते हैं और इनकी निशानदेही करना मुश्किल होता है। सबसे भरोसेमंद तरीका है रक्त के जरिए टीएचएच स्तर की जांच करना।
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि कुछ लोगों में थॉयरायड रोग की संभावना ज्यादा होती है। जिनमें डायबिटीज, रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकार, परिवार में पहले से किसी को थॉयरायड होना, हार्मोन में बदलाव- गर्भावस्था या मासिक धर्म बंद होना और बढ़ती उम्र जैसे कारण शामिल हैं। यह जरूरी है कि मासिक धर्म बंद होने के करीब वाली महिलाएं अपने थॉयरायड की जांच जरूर करवाएं।
हाईपोथॉयरायडिजम के लक्षण
- बहुत ज्यादा कमजोरी और थकान
- वजन बढ़ना
- ठंड बर्दाश्त न होना
- सूखे और कमजोर बाल
- याददाश्त की समस्या
- चिड़चिड़ापन और अवसाद
- ज्यादा कोलेस्ट्रोल
- दिल की धड़कन कम होना
- कब्ज
अगली स्लाइड में पढ़े संकेतो के बारें में