हेल्थ डेस्क: हार्मोनल चेंजेज औरतों के हेल्थ को लेकर कई राज उजागर करती है। खासकर औरतों के पीरियड्स, चाइल्ड बर्थ, मेनोपॉज के दौरान मूड काफी स्विंग होते हैं। बार-बार गुस्सा आना या कई दिनों चिड़चीड़ापन तक रहना हार्मोनल इंबैलेंस की निशानी है। यह कई वजहों से हो सकता है जैसे मधुमेह, पेट की बीमारी, टेंशन, गर्भावस्था, किसी तरह की चोट लगने से आप हार्मोनल इंबैलेंस का शिकार हो सकते हैं। साथ ही मधुमेह, ट्यूमर, तनाव, रजोनिवृत्ति, गर्भावस्था, चोट या आघात, कैंसर के इलाज, नींद की कमी, जन्म नियंत्रण गोलियां, कुछ दवाएं की वजह से हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या होती है। कई बार लड़की या महिलाओं को पता भी नहीं चलता और वह इसका शिकार हो जाती हैं अगर आप भी ऐसा कुछ महसूस करती हैं तो इसके लक्षण है सिरदर्द, मुंहासे या स्किन का ब्रेकआउट, इंटरनेल इंफेक्शन, चेहरे पर बाल आना, थकान, वजन बढ़ना, अवसाद, कब्ज या दस्त, चिंता, बांझपन, देर रात पसीना आना और स्किन का रूखापन होना। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो सबसे पहले आप अपने डाइट में मछली, अंडा, मशरूम इन सब चीजों को शामिल करें। और फिर आप देखेंगे कि देखते-देखते आपका हार्मोनल बैलेंस हो जाएगा।
मछली
विभिन्न प्रकार की मछली जैसे सालमोन और ट्यूना 'विटामिन डी' की उच्च स्रोत होती हैं। सालमोन विटामिन डी की हमारी रोजाना जरूरत का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के लिए काफी होती है।दूध
दूध विटामिन डी का सबसे प्रमुख स्रोत है। हमें दिन भर में जितना विटामिन डी चाहिए होता है, उसका 20 फीसदी हिस्सा दूध पूरा कर देता है। जबकि अनफॉर्टफाइड डेयरी उत्पादों में आमतौर पर विटामिन डी कम मात्रा में पाया जाता है।
मक्का रुट
मक्का रुट सब्जी कई रोगों के इलाज के लिए उपयोगी है। कई रिसर्चर ने यह साबित किया है कि यह सब्जी काफी फायदेमंद है। साथ ही औरतों में ये फर्टिलिटी, यौन स्वास्थ को सुधारता है और राहत भी देता है। मक्का रूट आपके हार्मोन को संतुलित करती है। रिसर्चर के मुताबिक ये वजन कम करने में काफी मददगार है। नींद में परेशानी, डिप्रेशन, रात को पसीना आना ये सब लक्षण होते है जिससे राहत दिलाता है।
मक्का रूट में कई मिनरल्स होते है जैसे कि आयोडीन, जिन्क और कुछ फैटी एसिड मौजूद होते है जो यौन हार्मोन में सुधार लाते है। आजकल का लाइफस्टाइल ऐसा है जिसकी वजह से महिलाओं को बहुत कम उम्र में ही फर्टिलिटी जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस रिसर्च को शोधकर्ताओं ने जानवरों पर प्रयोग किया और उसमें पाया कि ये पिट्यूटरी ग्लैंड में ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन को बढ़ाता है जो कि फर्टीलिटी और कई चीजों को नियंत्रित रखता है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड
ओमेगा 3 फैट्स, कॉन्जुगेटड लिनोलेक एसिड और गामा लिनोलेनिक एसिड जैसे कुछ फैट होते हैं जो शरीर के हार्मोन्स में बदलाव कर भूख को कम करते हैं और डाइटिंग करने में भी मददगार होते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन हार्ट अटैक के जोखिम को भी कम करता है।
अलसी के बीज
अलसी के बीजों में काफी तरह के पोषक तत्वों के अलावा ओमेगा 3 और लिगनेन्स एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह फाइबर और प्रोटीन का अच्छा श्रोत होता है। इसे दिन भर में तीन ग्राम तक लिया जा सकता है। अलसी के बीजों को चटनी या रोटी में स्टफ करके खाया जा सकता है।
अखरोट
कई विटामिन और पोषक तत्वों से भरा अखरोट ओमेगा 3 का ही नहीं, बल्कि प्रोटीन और डाइटरी फाइबर का भी एक बेहतरीन श्रोत होता है। इसमें मैंगनीज, कॉपर, फोसफोरस और मैंगनीशियम भी होते हैं। रोज कम से कम 4 से 5 गिरी अखरोट खाना फायदेमंद होता है।
मेथी
मेथी पेट में दर्द, कब्ज और पेट की सूजन से संबंधित सभी चीजों को ठीक करता है। मेथी में पानी में घुलनशील फाइबर कब्ज से राहत में मदद करता है। मेथी के बीज रक्त में एल.डी.एल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं और शरीर में एच.डी.एल को बढ़ाते है।