नमाज़ की शुरुआत में नमाज़ी अपने दोनों हाथों को ऊंचा करके पैरों को एक साथ सटाकर खड़ा होता है और नियत बांधता है जिसमें नमाज़ के वक़्त और कितनी लंबी बंदगी होगी, इसकी घोषणा करता है। इसके बाद अपने दोनों हाथों को छाती पर एक दूसरे के उपर रखता है।
3.सजदा
रुकू से उठने के बाद नमाज़ी सजदा करता है। इसमें वह अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ मोड़कर बैठता है। इस तरह से बैठने के बाद वह आगे की तरफ झुककर माथा फर्श से लगाता है। इस दौरान उसके हाथ मुंह के दाएं और बाएं होते हैं। इस क्रिया में इंसान का डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक ढंग से काम कर पाता है और पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसके साथ ही जब शरीर का झुकाव होता है तब पूरे निचले अंगों को मसाज और मालिश मिल जाता है साथ ही उसके कार्टिलेज लचीले हो जाते हैं। इस क्रिया में माथे को फर्श से सटाने पर चुम्बकीय उर्जा का भी शरीर में संचारण होता है।
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