नमाज़ की शुरुआत में नमाज़ी अपने दोनों हाथों को ऊंचा करके पैरों को एक साथ सटाकर खड़ा होता है और नियत बांधता है जिसमें नमाज़ के वक़्त और कितनी लंबी बंदगी होगी, इसकी घोषणा करता है। इसके बाद अपने दोनों हाथों को छाती पर एक दूसरे के उपर रखता है।
2.रुकू
नमाज़ के दूसरे चरण में नमाज़ी रुकू में जाता है यानी वह झुककर अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखता है। इस यौगिक क्रिया से पीठ की मांसपेशियां लचीली होती हैं और साथ ही साथ आंत और पेट के आर्गन को बेहतर ढंग से काम करने में मदद मिलती है। इस क्रिया के करने से एक और फायदा होता है किडनी का। किडनी का फंक्शन अच्छा होता है और ब्रेन से लेकर आंख, नाक, मुंह और लंग्स में ब्लड का सर्कुलेशन बेहतर ढंग से होता है।
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