पार्किंसन बीमारी से हो सकता है बचाव
पार्किंसन की बीमारी नर्वस सिस्टम पर हमला करती है, जिसके कारण शरीर में कंपकंपी होती है, मांसपेशियों में जकड़न आ जाती है तथा सामान्य शारीरिक गतिविधियों में भी गड़बड़ी पैदा हो जाती है.
यह बीमारी मस्तिष्क कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) की कमी से होती है, जो डोपेमाइन का उत्पादन करती हैं.
डोपेमाइन न्यूरॉन्स को आपस में संपर्क करने के लिए एक जरूरी न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में काम करता है। सस्केचेवान विश्वविद्यालय के शोध दल ने अल्फा-सिनुक्लिन (एएस) प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया, जो डोपेमाइन का विनियमन करती है।पार्किंसन रोग के शिकार लोगों में एएस मिसफोल्ड (प्रोटीन की असामान्य जैविक प्रकिया) होकर एक सघन संरचना में बदल जाता है, जो डोपेमाइन का उत्पादन करनेवाले न्यूरॉन्स को नष्ट करने लगता है।