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एशिया में पांव पसार रहा है ‘सुपर मलेरिया’, दवाएं बेअसर, जारी हुई चेतावनी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलेरिया परजीवी के इस खतरनाक प्रारूप को मौजूदा मलेरिया रोधी दवाओं से खत्म नहीं किया जा सकता...

Reported by: IANS
Published on: September 23, 2017 19:56 IST
Representational Image- India TV Hindi
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लंदन: दक्षिणपूर्व एशिया में 'सुपर मलेरिया' के प्रसार के मद्देनजर वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए इसे विश्व के लिए खतरा बताया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलेरिया परजीवी के इस खतरनाक प्रारूप को मौजूदा मलेरिया रोधी दवाओं से खत्म नहीं किया जा सकता। यह कम्बोडिया में उभर कर सामने आया, लेकिन बाद में इसने थाईलैंड के कई हिस्सों, लाओस और दक्षिणी वियतनाम में अपने पैर पसार लिए हैं। मलेरिया रोधी दवाओं के बेअसर होने की वजह से यह बेहद खतरनाक माना जा रहा है।

बैंकाक में ऑक्सफोर्ड ट्रॉपिकल मेडिसिन रिसर्च यूनिट की टीम ने कहा कि मलेरिया का बढ़ता हुआ खतरा लाइलाज होता जा रहा है। इकाई के प्रमुख प्रोफेसर अरजान डोंडोर्प ने बीबीसी को बताया, ‘हमें लगता है कि यह एक गंभीर खतरा है। यह चिंताजनक है कि यह खतरा पूरे क्षेत्र में इतनी तेजी से फैलता जा रहा है और हमें डर है कि यह आगे अफ्रीका तक फैल सकता है।’ द लान्सेट इनफेक्सियस डिजीज नामक पत्रिका में प्रकाशित एक पत्र में शोधकर्ताओं ने इसे 'हाल की भयानक घटना' बताया है, जिस पर आर्टेमिसिनिन दवा का असर नहीं होता है। 

बीबीसी ने बताया कि करीब हर साल 21.2 करोड़ लोग मलेरिया से संक्रमित होते हैं। यह एक परजीवी के कारण होता है, जो खून चूसने वाले मच्छरों से फैलता है और बच्चों की मौत का प्रमुख कारण है। मलेरिया के इलाज के लिए पहला विकल्प पेरिफेक्वाइन के साथ आर्टिमिसिनिन का संयोजन है। जैसा कि अब आर्टेमिसिनिन कम प्रभावी हो गया है, परजीवी पर अब पीयरेक्वाइन का असर नहीं होता है। पत्र में कहा गया है कि अब 'असफलता की दर खतरनाक' स्तर पर पहुंच रही है।

डोंडोर्प ने कहा कि वियतनाम में सुपर मलेरिया का एक-तिहाई इलाज असफल रहा है, जबकि कंबोडिया के कुछ क्षेत्रों में असफलता की दर 60 प्रतिशत के करीब है। अफ्रीका में दवाओं का प्रतिरोध अर्नथकारी होगा, जहां मलेरिया के सभी 92 प्रतिशत मामले सामने आने का अनुमान है।

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