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सावधान! खर्राटे लेने से जा सकती है आपकी जान, जानिए कैसे

लीप एप्निया से जुड़े खर्राटे से मौत का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर अध्ययन स्लीप सेंटर्ज में किए गए। हाल ही में एक अगस्त के स्लीप में आई एक नई ऑस्ट्रिेलियन शोध के मुताबिक ऑब्स्ट्रिक्टिव स्लीप एप्निया से पीड़ित सभी लोगों को यह खतरा होता है।

India TV Lifestyle Desk
Updated : February 04, 2017 13:51 IST
snoring
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हेल्थ डेस्क: हम फिट रहने के लिए क्या नहीं करते हैं। लेकिन हमारी लाइफस्टाइल के कारण हमें पूरी तरीके से फिट नहीं रह पाते है। इन्हीं समस्या में एक समस्या है खर्राटों की। जिसमें हम तो आराम से सोते है लेकिन साथ वाले की नींद हराम कर देते है। साथ ही यह एक गलत आदत भी है। साथ ही इससे आपकी जान भी जा सकती है।

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रात को सोते समय स्लीप एप्निया की वजह से सांस लेने में आने वाली समस्या मौत के खतरे को बढ़ देती है। स्लीप एप्निया भविष्य में हृदयाघात और गर्दन की धमनियों के मोटे होने का कारण भी बन सकता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल के अनुसार, स्लीप एप्निया एक सामान्य समस्या है, जिसकी वजह से सोते समय हम सांस लेने में रुक जाते हैं या बेहद कम सांस आती है।

अध्ययन के अनुसार, स्लीप एप्निया से जुड़े खर्राटे से मौत का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर अध्ययन स्लीप सेंटर्ज में किए गए। हाल ही में एक अगस्त के स्लीप में आई एक नई ऑस्ट्रिेलियन शोध के मुताबिक ऑब्स्ट्रिक्टिव स्लीप एप्निया से पीड़ित सभी लोगों को यह खतरा होता है।

सिडनी के वूलकॉक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के अध्ययनकर्ता नथनायल मार्शल का कहना है कि मौत का खतरा आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाता है। इस अध्ययन में छह गुना ज्यादा खतरा होने की बात सामने आई है, जिसका अर्थ है कि 40 साल की उम्र में स्लीप एप्निया से मौत का खतरा उतना ही होता है, जितना 57 साल की उम्र के व्यक्ति को बिना इस रोग के होता है।

आईएमए ने कहा है कि जिन लोगों को स्लीप एप्निया है या होने का शक है, उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर से जांच और इलाज के लिए संपर्क करना चाहिए।

विस्किॉन्सिन यूनिवर्सिटी की एक अन्य शोध में यह बात सामने आई है कि गंभीर स्लीप एप्निया से मौत का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है। इसके साथ ही मध्यम से हल्का स्लीप एप्निया के मामले में मौत का खतरा 50 प्रतिशत तक ज्यादा होता है।

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