हेल्थ डेस्क: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का मानना है कि धूम्रपान और तंबाकू के उपयोग को सकारात्मक दृष्टिकोण से हतोत्साहित किया जा सकता है। आंकड़ों के अनुसार, बच्चों और किशोरों में तंबाकू इस्तेमाल करने की आदत के कारण भारत में करीब 10 लाख मौतें हो जाती हैं। हाल ही के एक अध्ययन में यह भी संकेत दिया गया है कि सिगरेट के पैक पर चेतावनी के बड़े चित्र छापने, टैक्स बढ़ाने और तंबाकू के उपभोग के खिलाफ एक विस्तृत जागरूकता अभियान छेड़ने से कई लाभ हुए हैं।
सीडीसी के अनुसार, धूम्रपान से कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा दो से चार गुना बढ़ जाता है, जबकि इससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा लगभग 25 गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा, तंबाकू का सेवन जीवन की गुणवत्ता को कम कर देता है और स्वास्थ्य की देखभाल के खर्च को बढ़ाता है।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "भारत में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, ताकि तंबाकू के सेवन से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जनता को अवगत कराया जाए, तंबाकू की खपत को नियंत्रित किया जाए और मौतों की संख्या को कम किया जा सके। 'धूम्रपान जानलेवा है' यह संदेश तंबाकू नियंत्रण अभियानों में इस उम्मीद से प्रयोग किया जाता रहा है कि इससे तंबाकू के खतरनाक असर से लोग डरेंगे और धूम्रपान या तंबाकू उत्पादों का उपयोग बंद कर देंगे।"
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "लेकिन अब ऐसे नकारात्मक सार्वजनिक जन-अभियानों के स्वर को बदलने का समय आ गया है। जब हम किसी मरीज को धूम्रपान छोड़ने के प्रयासों में नाकाम रहने के लिए ऐसा कहते हैं कि यदि आपने यह आदत नहीं छोड़ी तो आप मर जाएंगे, तो वह निराश हो सकता है। हालांकि यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि लोग धूम्रपान करने या तंबाकू उत्पादों का उपयोग करने के खतरों से वाकिफ हैं। एक सकारात्मक वाक्य या सुझाव से अधिक प्रभाव हो सकता है।"
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