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नींद का कम आना हो सकता है खतरनाक, पड़ सकता है आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर

एक अध्ययन के अनुसार, त्रासदी के दो साल बाद भी प्राकृतिक आपदा से बचे लोगों में नींद की गड़बड़ी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : June 10, 2019 8:13 IST
sleep disorder
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नई दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार, त्रासदी के दो साल बाद भी प्राकृतिक आपदा से बचे लोगों में नींद की गड़बड़ी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी है। स्लीप पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में लगभग 31 वर्षों की औसत आयु वाले 165 प्रतिभागी (52 प्रतिशत पुरुष) शामिल थे।

प्रतिभागी 2010 के भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में से एक पोर्ट-ए-प्रिंस हैती में रह रहे थे।

सर्वेक्षण के अनुसार, यह देश के इतिहास में सबसे विनाशकारी भूकंप था। आपदा ने लगभग दो लाख लोगों को मार डाला और 10 लाख से अधिक निवासियों को विस्थापित होने पर मजबूर होना पड़ा।

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से अध्ययन के प्रमुख लेखक जूडिट ब्लैंक ने कहा, "2010 के हैती भूकंप के बचे लोगों में नींद की गड़बड़ी की व्यापकता की जांच करने वाला यह पहला महामारी विज्ञान का अध्ययन है।"

ब्लैंक ने कहा, "हमारे अध्ययन में सामान्य आघात से संबंधित विकारों और जीवित बचे लोगों के समूह के मध्य कोमोरिड नींद की स्थिति के बीच मजबूत संबंध को रेखांकित किया गया है।"

शोधकर्ताओं ने भूकंप के बाद दो साल तक जीवित रहने वालों का सर्वेक्षण किया और पाया कि 94 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अनिद्रा के लक्षणों और आपदा के बाद के जोखिम का अनुभव किया।

दो साल बाद 42 प्रतिशत में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) का महत्वपूर्ण स्तर दिखा।

लगभग 22 प्रतिशत में अवसाद के लक्षण थे।

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