नई दिल्ली: इस आधुनिक युग की होली में प्रयोग किए जाने वाले सूखे गुलाल तथा गीले रंगों को प्राकृतिक उत्पादों से नहीं बनाया जाता बल्कि उनमें माईका, लेड जैसे रसायनिक पदार्थ पाए जाते है, जिससे त्वचा में न केवल जलन पैदा होती है, बल्कि यह सब खोपड़ी पर जमा भी हो जाते हैं।
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होली का त्योहार ज्यादातर खुले आसमान में खेला जाता है, जिससे सूर्य की गर्मी से भी त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। खुले आसमान में हानिकाक यू.वी. किरणों के साथ-साथ नमी की कमी की वजह से त्वचा के रंग में कालापन आ जाता है। होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव बन जाती है।
रंगों का त्योहार होली देशभर में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन रंगों से बाल खराब होने और त्वचा में जलन होने का खतरा भी बना रहता है, इसलिए होली खेलते वक्त कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। काया लिमिटेड (चिकित्सा सेवा व अनुसंधान एवं विकास) की उपाध्यक्ष और प्रमुख संगीता वेलासकर ने रंग खेलने के दौरान बालों, त्वचा और नाखूनों की देखभाल के संबंध में ये सुझाव दिए हैं :
- होली खेलने के दौरान कड़ी धूप के संपर्क में आने से आपके बाल रूखे हो सकते हैं और नमी खो सकती है, इसलिए तेल जरूर लगाएं, यह आपके बालों के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा और बालों से रंग भी आसानी से निकल जाएगा।
- रंगों के संपर्क में आने के कारण आपकी त्वचा पहले ही संवेदनशील हो जाती है, ऐसे में होली के दिन जब तक बेहद जरूरी न हो तब तक दो बार से ज्यादा न नहाएं क्योंकि इससे त्वचा की नमी खो सकती है और त्वचा की पीएच बैलेंस में भी बदलाव हो सकता है। नहाने के बाद मॉइश्चराइजर लगाना नहीं भूलें।
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