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खराब लाइफस्टाइल से हो सकती है डायबिटीज और स्ट्रेस डिसऑर्डर

 खराब लाइफस्टाइल मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों और कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म देती है। 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: June 01, 2019 12:15 IST
खराब लाइफस्टाइल- India TV Hindi
खराब लाइफस्टाइल

नई दिल्ली: खराब लाइफस्टाइल मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों और कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म देती है। आज धूम्रपान, शराब, कम शारीरिक गतिविधियों, खराब आहार की आदतों को एक फैशन स्टेटमेंट के रूप में आत्मसात कर लिया गया है लेकिन यह भूल जाते हैं कि इन आदतों ने हमें बीमारियों के भंवरजाल में ढकेल रहा है और अब चाहकर भी इससे निकलना मुश्किल है।

डायबिटीज और स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से कोई अछूता नहीं है। ये जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां सभी के शरीर में घर कर चुकी हैं। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ के अनुसार, भारत में 2017 में लगभग 72,946,400 मधुमेह के मामले देखे गए हैं। वर्ष 2025 तक यह अनुमान लगाया जाता है कि मधुमेह से पीड़ित दुनिया के 30 करोड़ वयस्कों में से तीन-चौथाई गैर-औद्योगिक देशों में होंगे। एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन जैसे देशों में मधुमेह पीड़ित लोगों की संख्या कुल जनसंख्या का एक तिहाई होगा।

क्लिनिकल न्यूट्रीनिस्ट, डाइटिशियन और हील योर बॉडी के संस्थापक रजत त्रेहन के मुताबिक हार्वर्ड टीएच चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दर भारत में सभी भौगोलिक क्षेत्रों और सामाजिक-जनसांख्यिकीय समूहों के मध्यम आयु वर्ग के बुजुर्गो में काफी अधिक हैं।

उन्होंने कहा कि शहरीकरण की ओर बढ़ रहे भारतीय समाज में इन दो बीमारियों के भी तेजी से पैर पसारने की आशंका है। आंकड़ों को देखते हुए हम देख सकते हैं कि मधुमेह की व्यापकता का लिंग से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि यह महिलाओं के लिए 6.1 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 6.5 प्रतिशत है। उच्च रक्तचाप की प्रवृत्ति पुरुषों में अधिक है। 20 फीसदी महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं जबकि पुरुषों में इसका प्रतिशत 25 है।

भारतीय शहरों की सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों में गिरावट दर्ज की गई है। दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से सात भारत में हैं। 2016 में कराए गए वैश्विक स्वास्थ्य पर एक अध्ययन में पाया गया है, पीएम 2.5 जिसे अधिकांश प्रमुख भारतीय शहरों में एक प्रमुख प्रदूषक के रूप में माना जाता है, का मधुमेह के बढ़ते जोखिम के साथ गहरा संबंध है। पीएम 2.5 का व्यापक रूप से वायु प्रदूषक का अध्ययन किया जाता है जो हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी और अन्य गैर-संचारी रोगों के बढ़ते जोखिम से भी जुड़ा है। 

अध्ययन में पीएम 2.5 प्रदूषण और मधुमेह के खतरे के बीच एक उल्लेखनीय स्थिरता दिखाई गई है। शोध के माध्यम से अनुमान से पता चला कि 82 लाख मौतें पीएम 2.5 की बढ़ी हुई सांद्रता के कारण हुई। एक अन्य रिपोर्ट से पता चला है कि गंदी हवा में सांस लेने से तनाव हार्मोन बढ़ता है, यह दर्शाता है कि हवा की गुणवत्ता का शहरो मे रहने वाले लोगों के तनावग्रस्त जीवन से सीधा सम्बंध है।

गर्भावस्था के दौरान तनाव महसूस करना काफी आम है, लेकिन बहुत अधिक तनाव से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि नींद न आना, लंबे समय तक सिरदर्द और भूख कम लगना आदि। अगर लंबे समय तक उच्च स्तर का तनाव जारी रहता है तो हृदय रोग और उच्च रक्तचाप हो सकता है। 

ध्यान, आयुर्वेद और प्राकृतिक दवाएं बचाव के काम आ सकती हैं। एलोपैथिक के उपयोग से शरीर को उपचार के लिए कुछ विकल्प उपलब्ध कराए जा सकते हैं। पौधों पर आधारित उत्पादों और आहार जैसे प्राकृतिक उपचार लोगों के बीच स्वस्थ आदतों को अपनाने में मदद कर सकते हैं।

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