इसके तहत ज्यादा जोखिम से जुड़े लोगों की स्क्रीनिंग कर जांच की जाती है। साथ ही मधुमेह सहित गैर-संचारी रोगों के उपयुक्त प्रबंधन के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत तिल के तेल द्वारा प्रदान किए जाने वाले फायदों के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जाता है।
सिद्धार्थ गोयल ने कहा, "एक बार लोगों को तिल के तेल का फायदा समझ में आ गया तो हमारा देश एक मधुमेह-मुक्त राष्ट्र बन जाएगा।"
इस तथ्य को जानना भी यहां दिलचस्प होगा कि तिल एक ऐसा पौधा है जो सूखे में भी बच जाता है और बढ़ता रहता है। तिल की यह खासियत इसे 'उत्तरजीवी फसल' बनाती है।
तिल का तेल मधुमेह की रोकथाम करने में भी मदद करता है क्योंकि यह रक्त में ग्लूकोज स्तर, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड स्तर को घटाता है। कोलेस्ट्रॉल पर इसके प्रभाव के कारण यह स्वाभाविक है कि तिल का तेल ऐसे रोगों को रोकता है जो कि मधुमेह पीड़ित मरीजों में आम हैं जैसे कि अथेरोस्क्लेरोसिस और कार्डियोवेस्कुलर रोग।