हेल्थ डेस्क: जब हम म्यूजिक सुनते है या फिर को कोई बजाता है तो हमारे हाथ-पैर खुद ही थिरकने लगते है। कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। क्यों हमारे पैर अपने आप थिरकने लगते है। इसको लेकर कई शोध भी किए गए है। हाल में ही एक अध्ययन किया गया। जिसमें ये बात सामने निकल कर आई कि आखिर हमारे पैर क्यों थिरकने लगते है।
ऑस्ट्रेलिया में हुए एक शोध में शोधकर्ताओं पाया कि म्यूजिक पर पैरों का थिरकना बेस पर निर्भर करता है। शोध के दौरान निम्न और उच्च आवृत्ति वाली आवाजों यानी लो फ्रीक्वेंसी और हाई-फ्रीक्वेंसी साउंड पर मस्तिष्क के भीतर होने वाले परिवर्तनों का शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया। इन्हीं आवाजों से म्यूजिक की रिदम तैयार होती है। (पुराने से पुराने स्ट्रेस मार्क्स से जड़ से निजात दिलाएंगा ये सस्ता सा उपाय, वो भी सिर्फ 1 हफ्ते में )
किया गया इस यंत्र का इस्तेमाल
इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी नामक यंत्र का इस्तेमाल किया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि मस्तिष्क की हर हरकत धुन की आवृत्ति पर निर्भर करती है। अगर किसी गाने में बेस ज्यादा है तो पैर थिरकने के लिए ज्यादा मचलेंगे और लोग ज्यादा नाचेंगे। वहीं कम बेस वाले गाने लोगों को नाचने पर मजबूर नहीं कर पाते। (पीरियड्स के समय स्विमिंग करना है सहीं, बस ध्यान रखें ये बातें नहीं तो हो सकती है इंफेक्शन का शिकार )
कर सकती है ये रिसर्च मेडिकल में
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनकी रिसर्च कई तरह की मेडिकल कंडिशन को समझने और इलाज करने में इस्तेमाल हो सकती है। वैसे आजकल म्यूजिक थेरेपी के जरिए भी लोगों का इलाज किया जा रहा है। आने वाले समय में संगीत न सिर्फ मन को आराम बल्कि इलाज के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।