हेल्थ डेस्क: बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी मां बनने के बाद एक बार फिर बड़े पर्दे में अपनी फिल्म 'हिचकी' के साथ वापसी करने जा रहीं हैं। जिसमें वह एक टीचर सुनैना माथुर का किरदार निभाती नजर आएगी। इस फिल्म में एक खास बात है वो है सुनैना माथुर को हिचकी की बीमारी। जी हां सुनैना को टॉरेट सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित है। जिसके कारण उन्हें बोलने में प्रॉब्लम होती है। इसी से आधारित है हिचकी की कहानी। तो चलिए जानते क्या है ये सिंड्रोम और कैसे पा सकते है इससे निजात।
क्या है टॉरेट सिंड्रोम
टॉरेट सिंड्रोम एक न्यूरोसाइकाइअट्रिक डिसऑर्डर है। जो कि बचपन से ही इस बीमारी की शुरुआत हो जाती है। इस बीमारी में व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र में समस्या होती है जिससे रोगी अनियंत्रित गतिविधियां करते हैं या अचानक आवाज़ें निकालते हैं। इसे टिक्स कहा जाता है। इसमें अचानक से शब्दों को दोहराना, पलकों को झपकाना, बाहों को हिलाना, गला साफ करना, बार बार सूंघना, होठों को हिलाना शामिल है। इन लक्षणों पर रोगी का कोई नियंत्रण नहीं रहता। बस इसे थोड़ा नियंत्रित किया जा सकता है।
टॉरेट सिंड्रोम होने का कारण
यह किस कारण होता है। इस बारें में कोई पुख्ता सबूत नहीं है लेकिन कुछ डॉक्टर्स का माना है कि यह अनुवांशिक और पर्यावरण के कारण होता है। कई शोधों के अनुसार माता-पिता से यह बीमारी पीढ़ियों को हस्तांतरित होती है। जब दिमाग के बेसल गैंग्लिया में दिक्कत होती है तो इस कारण यह सिंड्रोम होता है।
क्या है बेसल गैंग्लिया
बेसल गैंग्लिया दिमाग का वह हिस्सा होता है जहां से आंखों और भावनाओं की नियंत्रित किया जाता है। दिमाग में डोपामाइन, सेरोटोनिन जैसे रसायनों के असंतुलन की वजह से भी टॉरेट सिंड्रोम होने की संभावना होती है।
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