जबकि देर रात तक जागने वाले समूह के लोग डायबिटीज, पेट और सांस की तकलीफ, मनोवैज्ञानिक विकार और कम नींद की समस्या से भी ग्रस्त होते हैं। साथ ही ये लोग धूम्रपान, शराब, कॉफी और ड्रग्स का सेवन भी अधिक करते हैं। शोध के मुताबिक, इन लोगों में मौत का जोखिम इसलिए भी अधिक होता है, क्योंकि देर से सोकर उठने की वजह से इनकी बायोलॉजिकल क्लॉक अपने आसपास के वातावरण से मेल नहीं खाती। शोधकर्ताओं ने देर रात तक जागने वालों के लिए खास प्रकार के इलाज की बात भी कही है।