हेल्थ डेस्क: भारत में सेरेब्रल पाल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) के 14 में से 13 मामले गर्भ में या जन्म के बाद पहले महीने के दौरान विकसित होते हैं। आमतौर पर सेरेब्रल पाल्सी को जन्मजात कहा गया है, ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह है कि किसी भी मां को गर्भधारण के साथ ही अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अमर सिंह चुंडावत के मुताबिक, वास्तव में गर्भावस्था के पहले दिन से लेकर अंत तक मां और बच्चा साथ बढ़ते हैं साथ सोते हैं और साथ खाते हैं। यह वह दौर है जब मां को कई तरह के तनाव और दर्द से गुजरना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान ऐसे कई लक्षण हैं जो विकसित हो रहे शिशु के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं और आगे चल कर मस्तिष्क पक्षाघात यानी सेरेब्रल पाल्सी का कारण बन सकते हैं। (अगर आप जल्दी सुबह उठते है तो आपसे कोसों दूर रहेंगे डिप्रेशन और सिजोफ्रेनिया, जानें क्या कहती है रिसर्च)
डॉ. चुंडावत के मुताबिक थायरॉयड विकार, सीजर, चिकनपॉक्स, रूबेला, साइटोमेगालोवायरस जैसे संक्रमण या वायरस, मल्टीपल बर्थ, बांझपन के उपचार के लिए असिस्टिव रीप्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी जैसे कुछ प्रमुख कारण हैं जो बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी का कारण बनते हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरेब्रल पाल्सी के अनुसार हमारे देश में लगभग 33000 लोग सेरेब्रल पाल्सी के साथ जी रहे हैं। हालांकि दुनिया भर में यह आंकड़ा हर 500 जीवित जन्म में से एक का है। (युवाओं से ज्यादा बच्चे हो रहें है कुष्ठ रोग के शिकार, इन लक्षणों को भूलकर भी न करें इग्नोर)
सेरेब्रल पाल्सी के टाइप
सेरेब्रल पाल्सी के समझने के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि यह कितने प्रकार का होता है।
इसका पहला प्रकार स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी का है, जिसमें प्रमस्तिष्क पक्षाघात का सबसे आम रूप में देखा जाता है। सभी मामलों में से लगभग 70-80 फीसदी मामले इसी से प्रभावित होते हैं। सेरेब्रल पाल्सी मांसपेशियों के समूहों को प्रभावित करता है और विकार पैदा कर सकता है। स्पास्टिक सेरेब्रल की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है, जो जन्म से पहले या जन्म के दौरान या बच्चे के जीवन के शुरूआती वर्षों में होती है। बच्चे के एक साल का होते-होते इसकी पहचान स्पष्ट हो जाती है क्योंकि लक्षण साफ तौर पर दिखने लगते हैं।
दूसरा प्रकार है डिस्किनेटिक सेरेब्रल पैल्सी। इसमें में मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचता है, जिसे बेसल गैन्ग्लिया कहा जाता है। यह स्वैच्छिक गतिविधियों को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों के साथ बेसल गैंग्लिया के कनेक्शन के चलते यह भावनाए मनोदशा और व्यवहार पर भी नियंत्रण करता है।
इसका तीसरा प्रकार मिक्स्ड सेरेब्रल पाल्सी है। कई सेरेब्रल पाल्सी रोगियों में किसी एक तरह की सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण नहीं होते हैं। इन रोगियों को मिक्सड सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त माना जाता है। उनमें सामान्य से लेकर स्पास्टिक, एटेटोइड और अटैक्सिक सेरेब्रल पाल्सी के मिश्रित लक्षण दिखते हैं। मिक्सड सेरेब्रल पैल्सी, वास्तव में सेरेब्रल पाल्सी का एक प्रकार है जो तीन अन्य सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण लिए होती है। सेरेब्रल पाल्सी वाले सभी रोगियों में लगभग दस फीसदी रोगी ऐसे होते हैं। इस प्रकार में सेरेब्रल पाल्सी के कम से कम दो रूपों का संयोजन है। मिक्सड सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क को पहुंचे नुकसान के कारण होती है।
इसके बाद अटैक्सिक सेरेब्रल पाल्सी का स्थान है। इससे पीड़ित बच्चे की गतिविधी में अकड़न या अस्थिरता होती है। ठीक से बैठ या चल नहीं पाता और झटके से महसूस होते हैं।
प्रेग्नेंसी के समय सेरेब्रल पाल्सी होने का कारण
गर्भावस्था के दौरान सेरेब्रल पाल्सी के लिए कई कारण हो सकते हैं। इनमें गर्भावस्था में चोट, हार्मोनल परिवर्तन, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, रक्त संबंधी रोग, बांझपन उपचार, जन्म के समय कम वजन, मस्तिष्क को चोट लगना, समय से पहले जन्म, ब्रेन डैमेज, जन्म में जटिलताएं शामिल हैं।
डॉ चुंडावत ने कहा, " गर्भावस्था के दौरान इन सावधानियों पर ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि सेरेब्रल पाल्सी एक विकासात्मक विकार है। आमतौर पर इसका पता महिलाओं के गर्भवती होने पर नहीं लग सकता। हालांकि डॉक्टर शिशु के विकास पर नजर रखते हुए यह पता लगा सकते है कि कहीं बच्चे के विकास में देरी तो नहीं हो रही है।"
प्रेग्नेंसी के समय ऐसे रखें खुद का ख्याल
तो फिर गर्भावस्था के दौरान मां को किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिएं। इसे लेकर चुंडावत कहते हैं कि इससे बचने के लिए हाथ साफ रखना, प्रसव पूर्व नियमित देखभाल करना, डॉक्टर से नियमित चेकअप करवाना, खुद को फ्लू से बचाना, डॉक्टर के साथ ब्लड कम्पेटिबिलटी पर चर्चा करना, रूबेला से खुद को बचाना, जीवनशैली को नियंत्रित करना, समय पर टीकाकरण करवाना, मल्टीपल बर्थ के जोखिमों के बारे में जागरूक रहना शामिल हैं।
याद रहे रखिए कि सेरेब्रल पाल्सी जीवन का अंत नहीं है। प्रमस्तिष्क पक्षाघात वाले रोगी भी उतना ही जीते हैं जितना कोई सामान्य शख्स। हालांकि सेरेब्रल पाल्सी न केवल उस व्यक्ति को प्रभावित करती है जो इससे पीड़ित है बल्कि देखभाल करने वाले परिवार को भी प्रभावित करती है। सेरेब्रल पाल्सी से निपटने के लिए रोगी और परिवार को ढेर सारी काउंसलिंग, फिजिकल थेरेपी, शैक्षिक सहायता, घर में बदलाव और पेशेवर चिकित्सा की आवश्यकता होगी। ऐसे में इस बीमारी के लिए जागरूकता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके लिए कोई निश्चित उपचार नहीं है।