हेल्थ डेस्क: ग्रामीण आबादी में प्रोस्टेट कैंसर (पीसीए) के मामलों में वृद्धि हुई है और विशेषज्ञों का मानना है कि उनके लिए बेहतर इलाज, दवाओं और तकनीक उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है। सफदरजंग हॉस्पिटल की ओपीडी में हर महीने 1 लाख से ज्यादा मरीज आते हैं। आंकड़े बताते हैं कि इन 1 लाख मरीजों में 20 प्रतिशत प्रोस्टेट कैंसर, 30 प्रतिशत मेटास्टेटिक प्रोस्टेट कैंसर, 40 प्रतिशत क्लीनिकली सीमित और 30 प्रतिशत सीमित रूप से उन्नत मरीज होते हैं।
सफदरजंग हॉस्पिटल की रजिस्ट्री के अनुसार प्रोस्टेट कैंसर के मामले भारत में लगातार बढ़ रहे हैं। इससे पहले 80 प्रतिशत मामले मेटास्टेटिक और बाकी 20 प्रतिशत प्रोस्टेट कैंसर थे। इनमें से ज्यादातर मेटास्टेटिक और प्रोस्टेट मरीजों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से हैं।
यह आंकड़ा बताता है कि भारत के लगभग सभी क्षेत्र इस कैंसर से समान रूप से प्रभावित हैं। सभी पॉपुलेशन बेस्ड कैंसर रजिस्ट्रीज (पीबीआरसी) में इस कैंसर के मामलों की दर लगातार तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री बताती है कि प्रोस्टेट कैंसर दिल्ली के पुरुषों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है।
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग हॉस्पिटल के यूरोलॉजी व रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रो.(डॉ.) अनूप कुमार ने कहा, "ग्रामीण आबादी के बीच प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को लेकर तुरंत जागरूकता फैलाने और साथ ही ज्यादा से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में इलाज और सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत है।
कुमार ने कहा, "इसके इलाज में आने वाले खर्च में 3 से 4 लाख रुपये कम कर इसे आर्थिक रूप से कमजोर तबकों तक भी पहुंचाया जाना चाहिए। 3डी लैप्रोस्कोपी व रोबोटिक्स जैसी उन्नत तकनीकों, कैंसर की बेहतर दवाओं के साथ जिंदगी बचाई जा सकती है और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों में जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर करने की जरूरत है।"
एम्स यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) पी.एन. डोगरा ने कहा, "पिछले कुछ दशकों में यह बीमारी वैश्विक तौर पर सेहत की एक बड़ी समस्या बन गई है। प्रोस्टेट कैंसर दुनिया भर के पुरुषों में दूसरा सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है। भारत कैंसर से होने वाली मौतों में छठे नंबर पर है। इसमें कोई संदेह नहीं कि महानगरों में यह अनुपात बदल रहा है लेकिन भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी सीमित पहुंच बनाए हुए है।
डोगरा ने कहा, "सरकार व चिकित्सकों के सामने यह चुनौती है कि वे पूरी गंभीरता के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जोखिम के कारकों को कम करें और प्रोस्टेट कैंसर का इलाज करें।"
दुनिया भर में सितंबर माह को प्रोस्टेट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, इसलिए सभी लोगों और खासतौर पर ग्रामीण आबादी को पिछले कुछ दशकों में सेहत संबंधी एक बड़ी समस्या बनने वाली इस जानलेवा बीमारी को लेकर जागरूक करने के प्रयासों का प्रसार किया जा रहा है।
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के एक अध्ययन के अनुसार, 2030 तक दुनिया भर में प्रोस्टेट कैंसर के 17 लाख नए मामले आने की अनुमान है। जिससे करीब 4,99,000 मौतें होने की आशंका भी जताई जा रही है, जो वैश्विक आबादी के बूढ़ा होने का कारण होगा।
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