हेल्थ डेस्क: वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि लगातार मनोवैज्ञानिक तनाव से आपके आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ सकता है। अध्ययन में पाया गया कि आपके चिकित्सक का व्यवहार और बीमारी को लेकर आपकी चिंता आपकी परेशानी और बढ़ा सकती है।
‘अखिल भारतीय भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ (एम्स) के मुनीब फयाक ने कहा ‘‘चिकित्सक के इलाज करने के तरीके और उसके शब्दों का नजर के मरीजों पर काफी असर पड़ता है। कई मरीजों को कहा गया कि रोग के लक्ष्ण खराब हैं और वे एक दिन दृष्टिहीन होने हो जाएंगे।’’
फयाक ने कहा कि मरीज के दृष्टिहीन होने के स्तर से काफी दूर होने पर भी भय और चिंता के कारण न्यूरोलॉजिकल और मनोवैज्ञानिक बोझ दोगुना हो जाता है और बीमारी और अधिक बिगड़ जाती है। पत्रिका ‘ईपीएमए’ में प्रकाशित अध्ययन तनाव और नेत्र रोग संबंधी बीमारियों के संबंध में किए गए कई अनुसंधानों और क्लीनिक्ल रिपोर्ट के व्यापक विश्लेषण पर आधारित है।