हेल्थ डेस्क: हर महिला को पीरियड्स के इस चक्र से हर माह होकर गुजरना पड़ता है। यह महिला के शरीर के लिए बहुत ही जरुरी होता है, क्योंकि यही पीरियड्स का चक्र महिलाओं की प्रजनन प्रणाली को परिवर्तित करता है। जिसके बाद ही कोई महिला मां बनने लायक बनती है।
एक स्टडी के अनुसार 50 फीसदी महिलाओं को पीरियड्स के समय दर्द का सामना करना पड़ता है। जिनमें से 10 फीसदी को असहयनीय दर्द होता है। यह दर्द पीरियड शुरु होने के एक या दो दिन पहले या फिर उसी दिन होता है। इस दर्द में आपके निचले हिस्से, पीठ और जांघों में भी दर्द होता है। जानिए और बातें...
ऐसे होता है दर्द
पीरियड्स में तो तरह का दर्द होता है। पहला दर्द प्राइमरी डिसमेनोरिया, दूसरा दर्द सेकंडरी डिसमेनोरिया। पहले तरह का दर्द माहवारी के चलते गर्भाशय में होने वाले कॉन्ट्रैक्शन की वजह से होता है। इस दौरान कुछ हॉरमोंस निकलते हैं जो लेबर पेन के दौरान भी क्रैंप्स के लिए जिम्मेदार होते हैं।
दूसरी तरह का दर्द होता है इस कारण
दूसरी तरह का दर्द सेकंडरी डिसमेनोरिया होता है। जो कि किसी मेडिकल कंडिशन के कारण होता है। यह कंडिशन फाइब्रॉइड हो सकती है। फाइब्रॉइड नॉन कैंसरस ट्यूमर हैं जो गर्भाशय की दीवार पर हो जाते हैं। इंडोमेट्रिऑसिस सहित पेल्विक इनफ्लेमेट्री डिजीज, ऐडिनोमाऑसिस और सर्विकल स्टेनोसिस भी हो सकता है।
इस दर्द में होता है ये खतरा
अगर आपकी उम्र 20 साल से कम है और आपको पीरियड 11 साल की उम्र में ही शुरु हो गया है, तो आपको डिसमेनोरिया होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। अगर आपको पीरियड्स के समय ज्यादा फ्लो में ब्लड होता है। इसके साथ ही आपको चिड़चिड़ापन या स्ट्रेस ज्यादा रहता है। तो आपको इस बीमारी के शिकार हो चुके है।
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