- सिंघाड़े का आटा बनाने से पहले इसे उबाल कर, छील कर और सुखा कर बनाया जाता है। इस वजह से इसके दूषित होने की संभावना नहीं बचती।
- सिंघाड़ों में कार्बोहाईड्रेट्स की शुद्ध मात्रा बहुत कम होती है। इसे कम कार्बोहाईड्रेट्स वाली कई खुराकों में शामिल किया जाता है। इसमें आम मेवों जैसी चर्बी भी नहीं होती। इनमें सफेद आटे की तुलना में भी कम कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं।
- सिंघाड़ा के आटे से बनने वाली तली हुई पूरियां या परांठे से परहेज करें। अच्छे ब्रांड का उच्च गुणवत्ता का आटा ही लें, पिछले साल के बचे हुए आटे से फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
- सिंघाड़े की रोटी बनाते वक्त उच्च ट्रांस फैट वाला तेल प्रयोग न करें। जितने ज्यादा हो सके फल खाएं, व्रत रखने वालों के लिए फल सबसे बेहतर विकल्प होते हैं। शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए पानी और फलों का रस अत्यधिक मात्रा में पीते रहें।