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क्या आपके बच्चें को इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत करने के लिए मिल रहा है भरपूर मात्रा में RDA, ऐसे जानें

मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाना और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बच्चों में निरंतर मजबूत करना आज की जरूरत है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपका बच्चा 100 फीसदी आरडीए प्राप्त कर रहा है?

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 31, 2017 11:04 IST
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हेल्थ डेस्क: आजकल के दौर में बढ़ते बच्चों में मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में कई चुनौतियां हैं। इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जैसे जंक फूड खाना और बच्चों का पहले की तुलना में बाहर कम खेलने जाना। मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाना और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बच्चों में निरंतर मजबूत करना आज की जरूरत है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपका बच्चा 100 फीसदी आरडीए प्राप्त कर रहा है?

हमारा रोग प्रतिरोधक क्षमता हमें कई वायरस, बैक्टीरिया और बाहरी तत्वों के हमले से हमारे शरीर की रक्षा करता है। इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम अपने प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करें जो बीमारियों से लड़ता है। कई बार पारंपरिक खाना पूरा नहीं पड़ता है। इससे बच्चों को 100 फीसद आरडीए (रिकामेंडिड डायटरी एलाउंस) नहीं मिल पाता है। इस अंतर को माइक्रो न्यूट्रेंटस से पूरा करना पड़ता है।

नेशनल रिसर्च काउंसिल के फूड व न्यूटरिशन बोर्ड नेशनल अकादमी आफ साइंसेज ने भी आरडीए को महत्वपूर्ण पौष्टिक पदार्थ (कैलोरी) बताया है, इसकी रोजाना आपूर्ति जरूरी होती है।

कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट डा. नीति देसाई ने कहा, "4 से 12 साल के बच्चों के लिए कंपलीट न्यूटरीशन की जरूरत होती है क्योंकि यह हमारे सेहत की नींव रखते हैं। यह जरूरी है कि इस दौरान बच्चे विटामिन्स और माइक्रोन्यूटरियंटस का 100 प्रतिशत आरडीए प्राप्त करें। चटर पटर खाने वाले बच्चों को निश्चत खाने की मात्रा में पौष्टिक भोजन मुहैया करवाना मां के लिए चुनौती वाला काम होता है। सप्लीमेंट से इस अंतर को पाटा जा सकता है। क्योंकि यह माइक्रोन्यूटरियंटस और विटामिन मुहैया करवाता है ताकि बच्चे को रोजाना बताई गई इनकी मात्रा मिल सके और वे अपनी विकास की पूरी क्षमताओं को प्राप्त कर सकें।"

इंडियन एसोसिएशन आफ पेडरियाटिक्स (आईएपी) की पूर्व अध्यक्ष व बच्चों की नामचीन डा. स्वाति भावे ने कहा, "एक बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए माइक्रो न्यूटिरयंटस बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह शरीर का डिफेंस मैकेनिज्म है क्योंकि यह रोगजनकों को मारता है व बीमारी को रोकता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के अन्य कारक हैं- पर्याप्त नींद, नियमित फिजिकल एक्टीविटी, सकारात्मक मानसिक स्थिति और कम से कम मानसिक दबाव। अगर बच्चे को सेहतमंद और पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल रहा है तो उन्हें सप्लीमेंट की जरूरत है जिससे बच्चों का संपूर्ण विकास हो और वे बेहतरीन रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करें।"

बच्चों को स्कूल सहित अन्य गतिविधियों व रोजाना के कार्यो को करने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है। साथ ही उन्हें मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत होती है ताकि वे बीमारियों से अपना बचाव करें। बीमारियों से बचाव सबसे ज्यादा जरूरी है। विटामिन ए, सी, ई, जिंक और आयरन शरीर के तीन स्तरीय नैचुरल डिफें स सिस्टम को मजबूत करते हैं। तीन स्तरीय नैचुरल डिफेंस सिस्टम में शारीरिक अड़चनें, कोशिकाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता और एंटीबाडी प्रोडक्शन है। इनसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।

अब यह आपको तय करना है कि आप अपने बच्चे की कैसे रक्षा करते हैं और उसे मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता मुहैया करवाने के लिए 100 प्रतिशत आरडीए मुहैया करवाते हैं।

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