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सिर्फ बाहर ही नहीं घरों में भी इस वजह से होते हैं प्रदूषण, ऐसे करें बचाव

भारत में इनडोर प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है धुआं, जो खाना बनाने और गर्मी उत्पन्न करने के लिए लकड़ी, गाय के गोबर और लकड़ी का कोयला जलाने से उत्पन्न होता है। स्वास्थ्य पर इनके कई तरह के दुष्प्रभाव होते हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : April 14, 2018 12:01 IST
health care
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नई दिल्ली: भारत में इनडोर प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है धुआं, जो खाना बनाने और गर्मी उत्पन्न करने के लिए लकड़ी, गाय के गोबर और लकड़ी का कोयला जलाने से उत्पन्न होता है। स्वास्थ्य पर इनके कई तरह के दुष्प्रभाव होते हैं। इसके अलावा छतों व टाइल्स जैसी निर्माण सामग्री में प्रयुक्त एस्बेस्टस और ग्लास फाइबर, रॉक वूल, सिरेमिक फाइबर में उपस्थित फाइबर्स से फेफड़ों का कैंसर और मेसोथेलियोमा हो सकता है। लैन्सेट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2015 में वायु प्रदूषण के कारण भारत में 18 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। यह दुनिया में सबसे ज्यादा दर्ज की गई संख्या थी। इनमें से 5 प्रतिशत से अधिक की मौत घरेलू प्रदूषण के कारण हुई।

धुएं में मौजूद बारीक कण, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषकों के सांस में जाने से लोगों को सीओपीडी का जोखिम हो सकता है। यह मामला विशेष रूप से महिलाओं से संबंधित है, क्योंकि रसोई में ज्यादातर समय वे ही जैवीय ईंधन का उपयोग करती हैं। घरेलू चीजें और निर्माण सामग्री भी समस्या को बढ़ाती है। फॉर्मेल्डिहाइड एक ज्ञात ह्यूमन कार्सिनोजन है, जो पेंट, लकड़ी के लेमिनेशन और वाल कवरिंग से निकलता है।

चेस्ट एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट (आईसीयू) तथा इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. कैलाश नाथ कहते हैं, "स्वास्थ्य पर इनके कई तरह के दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे नेत्रों, नाक और गले में जलन, मतली तथा लिवर, किडनी और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में क्षति। इसके अलावा, घरों के भूमिगत हिस्से में स्वाभाविक रूप से पैदा होने वाली रैडॉन गैस मौजूद हो सकती है, जो रेस्पिरेटरी एपिथेलियम के सेल्यूलर डीएनए को नुकसान पहुंचा सकती है और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकती है। यहां तक कि हानिरहित प्रतीत होने वाली धूल यदि बड़ी मात्रा में मौजूद हो तो अस्थमा पैदा कर सकती है। इस प्रकार प्रत्येक घर में, उसमें रहने वालों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है और संभवत: कोई भी घर इस जोखिम से मुक्त नहीं है।"

कई घरेलू चीजों जैसे फर्निशिंग, प्रिंटर, गोंद, पेंट, पेंट स्ट्रिपर्स, वुड प्रजर्वेटिव्स, एयरोसोल स्प्रे, क्लीनर और दरुगधनाशक, मॉथ रिपेलेंट और एयर फ्रेशनर, ईंधन और मोटर वाहन उत्पादों व कीटनाशकों आदि से वाष्पशील कार्बनिक यौगिक निकलते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बिना धुएं वाले घरेलू प्रदूषकों से बचाव के जांचे-परखे और किफायती समाधानों का अभी भी अभाव है। घरों में धुआंरहित प्रदूषकों के साथ काम करते समय उचित वेंटिलेशन को ही अक्सर प्रस्तावित किया जाता है, लेकिन दिल्ली जैसे स्थानों में यह पर्याप्त उपाय नहीं हो सकता, जहां आउटडोर प्रदूषण बहुत अधिक है। 

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