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नाइट शिफ्ट में काम करने से डीएनए को खतरा : रिसर्च

शोध में पाया गया है कि जो व्यक्ति रात भर काम करते हैं, उनमें डीएनए क्षय का खतरा रात में काम नहीं करने वालों के मुकाबले 30 फीसदी अधिक होता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : January 28, 2019 8:08 IST
नाइट शिफ्ट
Image Source : PIXABY नाइट शिफ्ट

हांगकांग: क्या आप ज्यादातर रात्रि पाली में काम करते हैं? पर्याप्त नींद की कमी और रात्रि में जागने से मानव डीएनए की संरचना में क्षति हो सकती है और इससे कई तरह की बीमारियां घर कर सकती हैं। रात्रि पाली में काम करने से कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, श्वास संबंधी एवं तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। एनस्थेशिया एकेडमिक जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, रात्रि में काम करने वालों में डीएनए मरम्मत करने वाला जीन अपनी गति से काम नहीं कर पाता और नींद की ज्यादा कमी होने पर यह स्थिति और बिगड़ती जाती है। 

शोध में पाया गया है कि जो व्यक्ति रात भर काम करते हैं, उनमें डीएनए क्षय का खतरा रात में काम नहीं करने वालों के मुकाबले 30 फीसदी अधिक होता है। ​वैसे लोग जो रात में काम करते हैं और पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं, उनमें डीएनए क्षय का खतरा और 25 फीसदी बढ़ जाता है। 

यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के रिसर्च एसोसिएट एस. डब्ल्यू. चोई ने कहा, "डीएनए खतरा का मतलब डीएनए की मूलभूत संरचना में बदलाव है। यानी डीएनए जब दोबारा बनता है, उसमें मरम्मत नहीं हो पाता है और यह क्षतिग्रस्त डीएनए होता है।" चोई ने कहा कि जब डीएनए में मरम्मत नहीं हो पाता तो यह खतरनाक स्थिति है और इससे कोशिका की क्षति हो जाती है। मरम्मत नहीं होने की स्थिति में डीएनए की एंड-ज्वाइनिंग नहीं पाती, जिससे ट्यूमर बनने का खतरा रहता है। 

शोध में 28 से 33 साल के स्वस्थ डॉक्टरों का रक्त परीक्षण किया गया, जिन्होंने तीन दिन तक पर्याप्त नींद ली थी। ​इसके बाद उन डॉक्टरों का रक्त परीक्षण किया गया, जिन्होंने रात्रि में काम किया था, जिन्हें नींद की कमी थी। चोई ने कहा, "शोध में यह पाया गया है कि बाधित नींद डीएनए क्षय से जुड़ा हुआ है।" 

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