अवसाद से बचने के लिए ली गई दवा इन अंगों द्वारा सरोटोनिन के अवशोषण को रोक देती है, जिस कारण इन अंगों के कार्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इसके परिणाम काफी घातक हो सकते हैं।
वैसे तो अवसाद स्वयं में जानलेवा है, जो व्यक्ति इससे ग्रसित रहता है, उसमें आत्महत्या, हृदयाघात और पक्षाघात जैसी घातक बीमारियों की आशंका काफी रहती है। इसलिए इन दवाओं के बारे में डॉक्टरों की ये भी राय है कि जो व्यक्ति अवसाद से ग्रस्त है, ये दवाएं उनके प्राण की रक्षा भी करती हैं।
शोध के सह-लेखक मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के मारटा मासलेज का कहना है, "हमारे निष्कर्ष काफी अहम हैं, क्योंकि इससे लोगों को पता लगेगा कि अवसाद से बचने के लिए ली गई दवा किस तरह प्राणघातक है और ये किस प्रकार से हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है। लोग अब अवसादरोधी दवा लेने से बचेंगे, क्योंकि ये दवाइयां मस्तिष्क के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर जान जोखिम में डालती हैं।"