हेल्थ डेस्क: समय-समय पर योजनाबद्ध तरीके से उपवास रखने से टाइप 2 प्रकार के मधुमेह रोग में मरीज को फायदा पहुंच सकता है। ऐसा करने से चिकित्सक तीन मरीजों में इंसुलिन की जरूरत को कम करने में सफल रहे हैं।
टाइप 2 मधुमेह में यूं तो जीवनशैली में बदलाव करने से फायदा मिलता है लेकिन ऐसा करके हमेशा ही रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रण में रख पाना संभव नहीं है।
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय और स्कारबोरो अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक 40 से 67 वर्ष के आयुवर्ग के तीन व्यक्तियों ने योजनाबद्ध तरीके से उपवास रखा। ये मरीज रोग पर नियंत्रण के लिए कई दवाइयां ले रहे थे और इंसुलिन भी नियमित रूप से ले रहे थे। टाइप 2 मधुमेह के अलावा वह उच्च रक्तचाप तथा उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से भी ग्रसित थे। (Navratri 2018: नवरात्र में डायबिटीज के मरीज इस तरह रखें व्रत, नहीं बढ़ेगा ब्लड शुगर)
इनमें से दो लोगों ने हर एक दिन के बाद पूरे 24 घंटे का उपवास रखा जबकि तीसरे ने हफ्ते में तीन दिन तक उपवास रखा। इस दौरान उन्होंने बहुत ही कम कैलोरी वाला पेय या खाद्य पदार्थ इस्तेमाल किया। (आप भी करते है नवरात्र में मखाने का सेवन, तो अब खाने से पहले जान लें बेहतरीन फायदों के साथ नुकसान )
लगभग दस महीने तक उन्होंने यह जारी रखा। इसके बाद उनकी रक्त शर्करा, वजन आदि की फिर से जांच की गई।
उपवास शुरू करने के महीनेभर के भीतर ही तीनों की इंसुलिन की जरूरत कम हो गई।
दो व्यक्तियों ने मधुमेह संबंधी अन्य दवाएं लेना भी बंद कर दिया जबकि तीसरे ने चार में से तीन दवाइयां लेना बंद कर दिया।
तीनों का दस से 18 फीसदी तक वजन कम हो गया।
हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि महज तीन मामलों पर आधारित इस शोध से कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।
(इनपुट भाषा)