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रिसर्च: छह वर्षो में होंठ और माउथ कैंसर में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि

भारत में बीते छह वर्षो में कैंसर के मामलों में 15.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रीवेंशन एंड रिसर्च के अनुसार, 2012 में 10 लाख के मुकाबले, अकेले इस साल देश भर में लगभग 11.5 लाख कैंसर के मामले दर्ज हुए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: November 18, 2018 8:42 IST
oral cancer- India TV Hindi
oral cancer

हेल्थ डेस्क: भारत में बीते छह वर्षो में कैंसर के मामलों में 15.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रीवेंशन एंड रिसर्च के अनुसार, 2012 में 10 लाख के मुकाबले, अकेले इस साल देश भर में लगभग 11.5 लाख कैंसर के मामले दर्ज हुए। होंठ और माउथ कैविटी के कैंसर की विशेष रूप से छह साल की अवधि में 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

मुंह का कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो मुंह के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जिसमें होंठ, जीभ, गाल, साइनस, फेरिंक्स, कठोर और मुलायम तालु आदि शामिल हैं। तम्बाकू का उपयोग मुंह के कैंसर के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है। इनमें सिगरेट, सिगार, पाइप, चबाने वाला तम्बाकू और सूंघने वाली तम्बाकू भी शामिल है। 

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "तम्बाकू का उपयोग करने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस जैसे ओरल प्रीकैंसरस लेजियंस विकसित हो सकते हैं, जिससे उपयोगकर्ता के मुंह में कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा यह उपयोगकर्ता के मुंह में अन्य संक्रमणों का जोखिम भी पैदा कर सकता है।" 

उन्होंने कहा, "भारत में धुआं-रहित तम्बाकू (एसएलटी) का उपयोग तम्बाकू जनित बीमारियों का प्रमुख कारण है, जिसमें माउथ कैविटी, ईसोफेगस (फूड पाइप) और पेंक्रियास के कैंसर प्रमुख हैं। एसएलटी न केवल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव का कारण बनता है, बल्कि एक बड़ा आर्थिक बोझ डालता है।"

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "छाली के साथ एसएलटी का उपयोग भारत में एक आम चलन है और जैसा कि शुरुआत में कहा गया है कि पान और गुटका, एसएलटी के दो सामान्य रूप हैं, जिनमें छाली का प्रयोग होता है। छाली को एक कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिसमें कैंसरजन्य गुण होते हैं, यानी इसमें अन्य प्रतिकूल प्रभावों के अलावा कैंसर पैदा करने वाले गुण मौजूद होते हैं।" 

डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा, "तम्बाकू का प्रयोग न करें। यदि आप करते हैं तो इस आदत को छोड़ने के लिए तत्काल कदम उठाएं। अल्कोहल का उपभोग संयम में रहकर करें। लंबे समय तक सूर्य के संपर्क में रहने से बचें। धूप में जाने से पहले 30 या उससे अधिक एसपीएफ वाले लिप बाम का उपयोग करें। जंक और प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचें। ताजा फल और सब्जियों सहित हैल्दी फूड करने की पहल करें। लोजेंजेस, निकोटीन गम्स जैसे चीजें लेकर निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाएं।" 

उन्होंने कहा, "पता करें कि धूम्रपान की इच्छा कब और कहां अधिक होती है। ऐसी स्थितियों से बचने का प्रयास करें। शुगरलेस गम या हार्ड कैंडी या कच्चे गाजर, अजवाइन, नट्स या फिर सूरजमुखी के बीज चबा लें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। सीढ़ियों से ऊपर-नीचे आने-जाने से भी तम्बाकू की तलब दूर की जा सकती है।" 

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