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ज्यादा समय तक किसी चीज को रखना है याद तो इन टिप्स को फॉलो करना न भूलें

अक्सर बढ़ते उम्र के साथ-साथ हमारी याददाश्त भी कमजोर होने लगती है। अक्सर हम अपना सामान रखकर भूल जाते हैं तो कई बार पढ़ाई करते वक्त हमें कोशिश करने के बाद भी कोई ऐसा टॉपिक होता है जो याद नहीं रहता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: June 01, 2018 15:47 IST
memory- India TV Hindi
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नई दिल्ली: अक्सर बढ़ते उम्र के साथ-साथ हमारी याददाश्त भी कमजोर होने लगती है। अक्सर हम अपना सामान रखकर भूल जाते हैं तो कई बार पढ़ाई करते वक्त हमें कोशिश करने के बाद भी कोई ऐसा टॉपिक होता है जो याद नहीं रहता है।

कोई नई भाषा हो या कोई नया विषय, हमारा दिमाग़ कुछ भी याद कर सकता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कितना मुश्किल है। खासकर कि तब जब हम उस नए विषय को पहली बार देखते हैं। शोध बताते हैं कि अगर हम किसी विषय को पहली बार पढ़ रहे हैं तो हम उसे पहली बार पढ़ने के बाद से अगले 20 घंटों में सबसे ज्यादा बेहतर याद कर पाते हैं।

उस दौरान किसी नई जानकारी के प्रति दिमाग की स्पीड बहुत तेज होती है क्योंकि नई जानकारी को लेकर दिलचस्पी का स्तर और उसके प्रति दिमाग की प्रतिक्रिया की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। 19वीं सदी के जर्मन दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक हरमन एब्बिनगस इस अध्ययन को करने वाले वाले पहले शख्स थे कि दिमाग किसी नई जानकारी को किस तरह से इकट्ठा करता है।

क्या है लर्निंग कर्व?

वह लर्निंग कर्व का आइडिया लेकर आये। लर्निंग कर्व का मतलब नए हुनर और उसे सीखने में लगने वाले समय के बीच संबंध से है। इसे ग्राफ में दिखाने के लिए आपको 'जानकारी' को वाई-एक्सिस और 'समय' को एक्स-एक्सिस पर रखना होगा। इस अध्ययन में एब्बिनगस को पता चला कि पहले कुछ घंटों के दौरान आप किसी नए विषय को पढ़ने में जितना ज्यादा समय देते हें उतनी ज्यादा जानकारी इकट्ठी करते हैं- इस तरह ग्राफ का कर्व ऊपर चढ़ता जाता है।

इन दिनों, एब्बिनगस का ग्राफ यह मापने का तरीका बन गया है कि एक नए हुनर को सीखने में कितना समय लगता है।अपनी उत्पादकता को मापने के लिए कारोबारी दुनिया में इसका काफी इस्तेमाल भी होने लगा है। जब हम कोई नई चीज याद करना शुरू करते हैं, तो शुरुआत के 20 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और उत्पादक होते हैं। जब हमारे अंदर किसी नई जानकारी को लेकर उत्तेजना पैदा होती है तो हमारा दिमाग उसके अनुसार प्रतिक्रिया करता है और ज्यादा से ज्यादा सूचना ग्रहण करता है।

समय के साथ जब बार-बार उत्तेजना पैदा होती है तो दिमाग की प्रतिक्रिया करने की शक्ति कम होती जाती है और तेज याद करने की प्रक्रिया रुक जाती है, इस फेज को हैबिचुएशन कहते हैं, यह ऐसा समय होता है जब हम अपनी कुशलता को धीरे-धीरे बढ़ाते जाते हैं इसलिए जब हम कुछ नया याद करते हैं, तो उसका ज्यादातर हिस्सा जल्दी और तेजी से याद हो जाता है, भले ही वो कितना कठिन हो।

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