हेल्थ डेस्क: दुनिया के प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग का 76 साल की आयु में बुधवार को ब्रिटेन के कैम्ब्रिज स्थित उनके घर पर निधन हो गया। इस बारें में पुष्टि उनके बच्चों ने की।
प्रोफेसर हॉकिंग मोटर न्यूरॉन नामक लाइलाज बीमारी से पीड़ित थे। जिसकी वजह से उनके शरीर के कई हिस्सों पर लकवा मार गया था। इसके बावजूद उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज जारी रखी। ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में उन्होंने अहम योगदान दिया है। जानिए कैसे और क्यों इस बीमारी से हार गए प्रोफेसर।
इस उम्र में पता चला बीमारी का
स्टीफन तब 21 साल के थे। तो उन्हें डॉक्टर्स से बोल दिया था कि वह केवल 2-3 साल ही जिंदा रहेंगे। लेकिन वह ज्यादा जिएं। जानिए कैसे किया उन्होंने खुद को इतना स्ट्रांग। और 76 साल की उम्र में वह इस बीमारी से हार गए।
हार्किंग का लालन-पोषण लंगन और सेंट अलबंस में हुआ। और उन्होंने ऑक्सफोर्ड से फिजिक्स से फर्स्ट क्लास डिग्री लेने के बाद कॉस्मोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट किया। साल 1963 में उन्हें इस बात की जानकारी प्राप्त हुई कि वह मोटर न्यूरॉन बीमारी है। उस समय वह यूनिवर्सिटी में थे।
एनएचएस के अनुसार ये एक असाधारण स्थिति है जो दिमाग और तंत्रिका पर असर डालती है। इससे शरीर में कमज़ोरी पैदा होती है जो समय के साथ बढ़ती जाती है। ये बीमारी हमेशा जानलेवा होती है और जीवनकाल सीमित बना देती है, हालांकि कुछ लोग ज़्यादा जीने में कामयाब हो जाते हैं। हॉकिंग के मामले में ऐसा ही हुआ था।
इस बीमारी का कोई इलाज मौजूद नहीं है लेकिन ऐसे इलाज मौजूद हैं जो रोज़मर्रा के जीवन पर पड़ने वाले इसके असर को सीमित बना सकते हैं। न्यूरॉन मोटर बीमारी को एमीट्रोफ़िक लैटरल स्क्लेरोसिस (ALS) भी कहते हैं। ये डिसऑर्डर किसी को भी हो सकता है।
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