नई दिल्ली: ‘कैंसर’ की बीमारी आजकल सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है, इससे पीड़ित मरीज़ो के बचने की उम्मीद काफी कम होती है। कैंसर वैसे तो शरीर के कई अंगो में हो सकता है। लेकिन जिस कैंसर का खतरा लोगों में सबसे अधिक बना रहता है वह है बड़ी आंत का कैंसर। जिसे अंग्रेज़ी में लार्ज इंटस्टाइन के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का यह कहना है कि दोषपूर्ण जीवनशैली और हानिकारक आहार से बड़ी आंत का कैंसर होने का खतरा हमेशा बना रहता है। अधिक फैट और कम रेशे वाले भोजन से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में कोलोरेक्टल कैंसर तीसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है। हर साल इसके 14 लाख नए मामले सामने आते हैं और 6.94 लाख लोगों की इसके वजह से मृत्यु हो जाती है। (अपोलो ने गोदरेज हिट संग डेंगू मरीजों के लिए उठाया यह कदम)
भारत में इस तरह का कैंसर के मामले बढ़ने लगे है। हर तीन कोलोरेक्टल कैंसर मरीजों में एक मरीज में इसका स्थान मलाशय में होता है। आईएमए का मानना है कि अधिक फैट और कम रेशों वाले भोजन से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
यह है बड़ी आंत के कैंसर के कारण
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "अब तो कोलन या बड़ी आंत का कैंसर बच्चों में भी मिलने लगा है। एक ही जगह बैठे रहना, डेस्क जॉब, अस्वास्थ्यकर भोजन आदि से इस कैंसर को बढ़ावा मिलता है। कम जानकारी के कारण, करीब 40 से 50 प्रतिशत मामले ही सामने आ पाते हैं, वो भी तब जब कैंसर अंतिम चरण में पहुंच चुका होता है।"
उन्होंने कहा, "मलाशय से रक्त स्राव, कब्ज और डायरिया दो दिन से अधिक रहे तो लोग उसे कुछ अन्य रोग समझ बैठते हैं। इससे कैंसर की जांच में विलंब होता जाता है। भारत का मूल आहार रेशेदार हुआ करता था, जो पाचन तंत्र के अनुकूल होता था। पश्चिमी आहार में प्रिजर्वेटिव अधिक होते हैं और रेशे कम होते हैं, जिससे न सिर्फ कोलन कैंसर, बल्कि अन्य कई रोगों का खतरा भी पैदा हो जाता है।" (मानसून में फंगल इंफैक्शन कर सकता है आपको परेशान, ऐसे करें बचाव)
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